रेवाड़ी चैंबर आफ कामर्स ने भी दी रोजगार में आरक्षण को चुनौती

याचिका के अनुसार धरती पुत्र नीति (हरियाणा के मूल निवासी) योजना के तहत सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 07:04 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 07:09 PM (IST)
रेवाड़ी चैंबर आफ कामर्स ने भी दी रोजगार में आरक्षण को चुनौती
हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कानूनी रद करने की लगाई गुहार

रेवाड़ी/चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के बाद, अब रेवाड़ी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने हाई में याचिका दायर कर प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में हरियाणा के मूल निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने के कानून को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका के अनुसार यह कानून हरियाणा के उद्योगों के लिए मौजूदा औद्योगिक रोजगार संरचना में अराजकता पैदा करेगा व नौकरशाही लाल फीताशाही को बढ़ावा देगा।

आशंका : हरियाणा से इंडस्ट्री का हो सकता है पलायन

इंडस्ट्रीज ने अपनी याचिका में कहा है कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन होगा। इंडस्ट्रीज के अनुसार 75 प्रतिशत नौकरियों का आरक्षण संवैधानिक संप्रभुता के प्रविधानों के खिलाफ है।

कानून पर रोक लगाने की मांग

याचिका में इस कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका के अनुसार, हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है। याचिका के अनुसार धरती पुत्र नीति (हरियाणा के मूल निवासी) योजना के तहत सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है, जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं।

जल्द हो सकती है सुनवाई

यह कानून उन युवाओं के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है जो शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की योग्यता रखते हैं। यह याचिका हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में दाखिल हो गई है और इस पर जल्द ही सुनवाई हो सकती है।

chat bot
आपका साथी