पढ़िये- हरियाणा में 8 साल पहले दी गई नरेंद्र मोदी की 3 नसीहत के बारे में

PM Narendra Modi News भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के ठीक दो दिन बाद यानी 15 सितंबर 2013 को रेवाड़ी की इसी वीरभूमि पर तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली रैली की थी।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 05:20 AM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 09:19 AM (IST)
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पढ़िये- 8 साल पहले दी गई नरेंद्र मोदी की 3 नसीहत के बारे में, देश-दुनिया ने समझा था उनका नजरिया

नई दिल्ली/रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। भविष्य में जब कभी भारतीय राजनीति पर नरेंद्र दामोदर दास मोदी का इतिहास लिखा जाएगा तो उनके प्रधानमंत्री बनने की कहानी के साथ रेवाड़ी का नाम सदैव जुड़ा रहेगा। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के ठीक दो दिन बाद यानी 15 सितंबर 2013 को रेवाड़ी की इसी वीरभूमि पर पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली रैली की थी। इस दौरान विश्व समुदाय की निगाहें इस रैली पर टिकी हुई थी। दुनिया भारत के संभावित प्रधानमंत्री का अहम मुद्दों पर दृष्टिकोण जानना चाह रही थी। देश-विदेश का मीडिया इस छोटे से शहर में यह जानने के लिए मौजूद था कि नरेंद्र मोदी रेवाड़ी रैली से देश-विदेश को क्या संदेश देंगे?

इतिहास में दर्ज हो गई रेवाड़ी की रैली

रेवाड़ी में अपनी रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने किसी को भी निराश नहीं किया। उस दिन नरेंद्र मोदी ने दुनिया विशेषकर पाकिस्तान को तीन नसीहत दी थी। उन्होंने विश्व समुदाय से आपस में लड़ने की बजाय भूख-गरीबी, अशिक्षा व आतंकवाद से लड़ने का आह्वान किया था। उस दिन के संभावित प्रधानमंत्री अब अपनी दूसरी पारी तक पहुंच गए हैं, मगर रेवाड़ी रैली का जिक्र जब-तब उनकी जुबान पर आ ही जाता है।

तालिबान को 8 साल पहले ही चिंतित नजर आए थे नरेंद्र मोदी

वर्ष 2019 के चुनाव में भी मोदी का रेवाड़ी आना हुआ, मगर उनकी पहली रैली का ऐतिहासिक महत्व सबसे अहम रहेगा। अफगानिस्तान में पैदा हुए मौजूदा हालात एक दिन में पैदा नहीं हुए थे। तालिबान को लेकर दुनिया में आज जो चिंता जताई जा रही है, वैसी चिंता मोदी ने आठ वर्ष पहले अपनी पहली रैली में ही जता दी थी। उन्होंने तब पाकिस्तान का नाम लेकर आह्वान किया था कि उसे भारत के साथ लड़ने की नहीं बल्कि आतंकवाद, अशिक्षा व अंधविश्वास से लड़ने की जरूरत है। भूख व गरीबी से लड़ने की जरूरत है।

वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा

वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा भी रेवाड़ी रैली से ही जोर पकड़ा था। ऐसा इसलिए भी हुआ, क्योंकि मोदी ने अपनी पहली रैली पूर्व सैनिकों व अर्धसैनिकों से संवाद के लिए रखी थी। इसे नाम भी पूर्व सैनिक रैली दिया गया था। रेवाड़ी ने तब बाद में उतनी बड़ी रैली नहीं देखी है। यह इसी रैली में उठाए मोदी के मुद्दे का परिणाम था, जिसके चलते केंद्र सरकार ने वन रेंक वन पेंशन का नियम लागू किया।

अहीरवाल बेल्ट के लोगों की नरेंद्र मोदी से बड़ी उम्मीद

यहां पर बता दें कि जनरल वीके सिंह जैसे सेना के कई सेवानिवृत्त उच्चाधिकारी उस रैली के गवाह बने थे। इसके बाद रैलियों का सिलसिला शुरू हुआ तो मोदी आगे बढ़ते गए। रेवाड़ी की माटी से मोदी के इस जुड़ाव को देखते हुए ही हरियाणा के लोगों को यह उम्मीद है कि एम्स के अलावा भी अहीरवाल को निकट भविष्य में कुछ बड़ा तोहफा मिल सकता है।  

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