Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan: हो गई मुराद पूरी, अब राम के घर लग जाएगा पत्थर तेरे नाम का

Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan 1989 में संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक प्रद्युम्न कुमार के अनुसार रामभक्ताें ने साफ कह दिया कि बिना शिलान्यास वापसी नहीं होगी। हम जिनसे शिला लेकर आए हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 04:37 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 04:37 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan: हो गई मुराद पूरी, अब राम के घर लग जाएगा पत्थर तेरे नाम का
Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan: हो गई मुराद पूरी, अब राम के घर लग जाएगा पत्थर तेरे नाम का

नई दिल्ली [महेश कुमार वैद्य]। Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan:  'सवा रुपया दे दे भैया, राम शिला के नाम का, राम के घर में लग जाएगा पत्थर तेरे नाम का।' तीन दशक पूर्व गली-गली में गुंजायमान हुआ यह नारा बुधवार को साकार हो गया है। राम भक्तों ने जिस श्रद्धा से तब घर-घर से शिलाएं व शिलाओं के लिए सवा रुपया भेंट किया था, 5 अगस्त से उनके नाम की शिला राममंदिर में लगनी शुरू हो गई है। श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में हरियाणा की भूमिका अहम थी। जब 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में शिलान्यास हुआ था, तब सिंहद्वार पर सुरक्षा की कमान मुख्य रूप से हरियाणा के कारसेवकों के जिम्मे थी।

नवंबर 1989 में अयोध्या पहुंचे लाखों कारसेवकों को ठहराने के लिए सरयू किनारे बनाए अस्थायी महानगर में कहीं शिवाजी नगर व कहीं लक्ष्मण नगर बसाया था। हरियाणा के कारसेवक लक्ष्मण नगर में ठहरे थे। जब श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े बड़े नेताओं ने एक दिन पूर्व यह कहा कि शिलान्यास की अनुमति नहीं मिल रही, आप लोग वापस जाओ तब हरियाणवी बिफर गए थे।

संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक प्रद्युम्न कुमार के अनुसार रामभक्ताें ने साफ कह दिया कि बिना शिलान्यास वापसी नहीं होगी। हम जिनसे शिला लेकर आए हैं उन्हें क्या मुंह दिखाएंगे। अब या तो शिलान्यास होगा या सरयू में जलसमाधि होगी। माना जाता है कि रामभक्तों का यह संकल्प देखकर ही सत्ता मजबूर हुई थी और शिलान्यास की अनुमति मिली। सिंहद्वार के निकट हुए शिलान्यास के तीस वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट ने रामभक्तों की इच्छा पूरी की थी। अब बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन के साथ ही रामभक्तों द्वारा ले जाई गई शिलाएं मंदिर का हिस्सा बननी शुरू हो जाएंगी और सरयू में समाधि की धमकी देने वाले भक्तों की मुराद पूरी हो जाएगी।

कारसेवकों के चरण पखारता था हरियाणा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रद्युम्न कुमार कहते हैं कि जींद से ईश्वर सिंह, बहादुरगढ़ से जगदीश अहलाबादी व राजेश, हिसार से स्व. वेद जी मनचंदा व हरिवंश कपूर जैसे सैकडों स्वयंसेवक थे, जिन्होंने जन्मभूमि के लिए प्राणों की चिंता नहीं की। कोसली के वीर कुमार यादव सहित सैकडों सेवक कुछ दिन जेलों में भी रहे। फरीदाबाद में उन दिनों कैलाश जी स्थानीय स्तर पर व्यवस्था संभाल रहे थे, जबकि उनके बेटे रितेश सेवा के लिए अयोध्या पहुंचे थे। सुभाष जी व रासबिहारी जी जैसे सेवकों की भूमिका अहम थी। यह वह दौर था जब मुख्यमंत्री मनोहरलाल विभाग प्रचारक थे। वरिष्ठतम सेवकों में शामिल प्रचारक महाबीर जी भी उन दिनों प्रदेश में चल रही गतिविधियों पर पैनी निगाह रखे हुए थे। तब हरियाणा, गुजरात व राजस्थान से आने वाले स्वयंसेवकों का कॉरिडोर था। यहां कारसेवकों के चरण पखारने के लिए रामभक्त पैरों के बल खड़े रहते थे। 6 दिसंबर 1992 को भी हरियाणा की भूमिका किसी से छुपी नहीं है।

समय से पहले आई है दिवाली

मेश चंद्र गुप्ता (प्रांत प्रधान, विहिप) हरियाणा का कहना है कि बुधवार को श्रीरामजन्मभूमि पर भूमि पूजन के साथ ही एक नया अध्याय शुरू हुआ है। विश्व हिंदू परिषद ने घर-घर भगवा झंडा पहुंचाने का काम कर रहा है। यह राष्ट्रीय गौरव का दिन है।

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