Haryana: निकाय चुनावों ने दिया प्रमुख पार्टियों को सबक, किसी को नहीं दिया खुलकर जश्न मनाने का मौका

Rewari City Council Election Resultसबका साथ मिलने से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जहां अहीरवाल की राजधानी रेवाड़ी में लाज बचाने में सफल रहे वहीं अपने गढ़ में कांग्रेस के कैप्टन अजयसिंह यादव की प्रतिष्ठा पर वोट की चोट पड़ी।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 09:02 PM (IST) Updated:Thu, 31 Dec 2020 09:03 AM (IST)
Haryana: निकाय चुनावों ने दिया प्रमुख पार्टियों को सबक, किसी को नहीं दिया खुलकर जश्न मनाने का मौका
रेवाड़ी नप प्रधान पूनम यादव और धारूहेड़ा नपा के प्रधान कंवर सिंह की फाइल फोटो

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। नववर्ष के आगाज से ठीक पहले नगर निकायों के चुनाव परिणाम ने प्रमुख पार्टियों को सबक देते हुए प्रदेशभर में जश्न मनाने का मौका नहीं दिया है। कांग्रेस जहां अनुकूल माहौल होते हुए भी अधिक फायदा नहीं उठा पाई वहीं सत्ता में होते हुए भी किसान आंदोलन की छाया के बीच भाजपा भी मुनाफे में नहीं रही। भाजपा को उत्तर में पंचकूला नगर निगम व दक्षिण में रेवाड़ी नगर परिषद की चौधर का सहारा अवश्य मिला, मगर कम अंतर की जीत कचौटती रही।

अपने गढ़ में कौन रहा शेर

सबका साथ मिलने से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जहां अहीरवाल की राजधानी रेवाड़ी में लाज बचाने में सफल रहे, वहीं अपने गढ़ में कांग्रेस के कैप्टन अजयसिंह यादव की प्रतिष्ठा पर वोट की चोट पड़ी। कैप्टन ने भतीजे की पत्नी विक्रम यादव को मैदान में उतारा था, मगर परिवार से उम्मीदवार देना भारी पड़ा। रेवाड़ी के चुनाव प्रभारी पूर्वमंत्री रामबिलास शर्मा के एकता प्रयासों ने भी रेवाड़ी में भाजपा को फायदा दिलाया।

करिश्मा नहीं दिखा पाई जजपा

उकलाना नपा के अलावा धारूहेड़ा में भी जजपा की करिश्मा नहीं दिखा पाई। दोनों जगह करारी हार हुई। गठबंधन के तहत धारूहेड़ा में जजपा ने चुनाव लड़ा था, मगर पार्टी के प्रधान पद के उम्मीदवार मान सिंह छठे स्थान पर रहे। बिना मजबूत चेहरे के गठबंधन करना व भाजपा के दो प्रमुख चेहरों का बगावत करके उतरना भारी पड़ा। जनता ने सादगी से चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवार कंवर सिंह को कमान सौंप दी।

हुड्डा ने दिखाया जलवा

बरोदा उपचुनाव के बाद सोनीपत नगर निगम में एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस उम्मीदवार निखिल मदान को जितवाकर जलवा दिखाने में कामयाब रहे, मगर अंबाला में कुमारी सैलजा कांग्रेसी उम्मीवार को कामयाबी नहीं दिला पाई। सीमित दायरे में झांके तो हुड्डा फायदे में रहे, मगर प्रदेश स्तर पर कांग्रेस घाटे में ही रही है। लोगों ने अंबाला में जहां विनोद शर्मा के आशीर्वाद से शक्ति रानी को कमान सौंपी, वहीं धारूहेड़ा, सांपला व उकलाना नगर पालिकाओं की बागडोर निर्दलीयों के हाथ में थमाई। मनोहर-धनखड़ की जोड़ी के लिए परिणाम बड़ा सबक है। भाजपा को नववर्ष में जहां नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा, वहीं कांग्रेस को भी व्यक्ति आधारित राजनीति से बाहर निकलना होगा।

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