जानिए क्‍यों अपना ही घर नहीं बेच पाएंगे हरियाणा के 15 लाख मकान मालिक

सरकार लालडोरा खत्म करने की अच्छी पहल कर चुकी है मगर लाखों मकानों की रजिस्ट्री का अधिकार छीना जाना आम लोगों की मुसीबत बढ़ाने वाला और बिल्डरों पर मेहरबानी करने वाला माना जा रहा है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:17 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 10:11 PM (IST)
जानिए क्‍यों अपना ही घर नहीं बेच पाएंगे हरियाणा के 15 लाख मकान मालिक
जानिए क्‍यों अपना ही घर नहीं बेच पाएंगे हरियाणा के 15 लाख मकान मालिक

रेवाड़ी, महेश कुमार वैद्य। भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद बनाए गए रजिस्ट्री के नए नियमों के चलते अब हरियाणा के करीब 15 लाख लोग नियंत्रित क्षेत्र (कंट्रोल एरिया) के गांवों में लालडोरा से बाहर बने अपने घर-दुकानें नहीं बेच पाएंगे। नए नियमों ने यह अधिकार छीन लिया है। इससे पहले बने हुए मकानों की रजिस्ट्री प्लाटों के लिए निर्धारित कलेक्टर रेट पर हो रही थी। हालांकि कभी कृषि भूमि को निर्मित मकान दिखाकर रजिस्ट्री की गई तो कभी आबादी के बीच के बड़े आवासीय प्लाट को स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए कृषि भूमि दर्शाया गया, मगर अब सिस्टम दुरुस्त करने के नाम पर लाखों लोगों को संपत्ति बेचने के अधिकार से ही वंचित कर दिया गया है।

प्रापर्टी डीलरों व भूमाफिया ने खूब बेचे प्‍लाट

सरकार के पुराने नियमों के अनुसार जिन्होंने बिना एनओसी एक हजार वर्ग गज या इससे अधिक कृषि भूमि खरीदी थी, उसकी खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध नहीं रहेगा। ऐसी कृषि भूमि के लिए बिना बाधा एनओसी मिलेगी। कृषि भूमि के मामले में किसी का हिस्सा इससे कम है तो उसे भी चिंता की जरूरत नहीं है, मगर लालडोरा के बाहर हुए निर्माण के लिए न डीटीपी से एनओसी मिलेगी न तहसील से सीधी रजिस्ट्री होगी। इनमें अधिकांश ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पिछले कुछ दशकों के दौरान प्रापर्टी डीलरों व भूमाफिया के चुंगल में फंसकर अनधिकृत प्लाट खरीदे थे।

तमाम गांवों में है लालडोरा से बाहर विस्तार

लालडोरा अंग्रेजों के जमाने का है। गांवों में इसे फिरनी कहते हैं। नियंत्रित क्षेत्र का शायद ही कोई गांव ऐसा है, जहां लालडोरा से बाहर कृषि भूमि में मकान नहीं बने हैं। शहर से सटे गांवों में तो दूसरे राज्यों के लोगों ने भी मकान बनाए हुए हैं। नए नियमों के बाद अगर उत्तर प्रदेश का कोई व्यक्ति अपना घर बेचकर जाना चाहे तो ऐसा संभव नहीं रहा। हरियाणा अस्तित्व में आने के बाद शहरों में सैकड़ों अनधिकृत काॅॅलोनियां नियमित हुई, मगर गांवों में लालडोरा के बाहर बना एक भी घर नियमित नहीं हुआ।

अच्‍छी पहल मगर लोगों को मुसीबत ना हो

सरकार लालडोरा खत्म करने की अच्छी पहल कर चुकी है, मगर लालडोरा के बाहर बने लाखों मकानों की रजिस्ट्री का अधिकार छीना जाना आम लोगों की मुसीबत बढ़ाने वाला और बिल्डरों पर मेहरबानी करने वाला माना जा रहा है। अधिकांश गांवों में लालडोरा के बाहर की कालोनियों में सरकारी खर्च पर शानदार सड़कें हैं, मगर मनोहर सरकार का साफ्टवेयर रजिस्ट्री की अनुमति नहीं दे रहा। नाम न छापने की शर्त पर नगर एवं आयोजना व राजस्व विभाग के कई अधिकारी इस खामी को स्वीकार कर रहे हैं। पिछले दिनों रेवाड़ी आए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सात दिन में समस्याओं के समाधान का वादा किया था, मगर अभी कई समस्याएं बरकरार है।

मैने कई वरिष्ठ अधिकारियों से वस्तुस्थिति की जानकारी ली है। बने हुए मकानों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। कुछ तकनीकी समस्याएं है, जो दूर हो जाएगी। अब तो डीटीपी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत भी नहीं है। सीटीपी हरियाणा की वेबसाइट पर जाकर एनओसी ली जा सकती है। मनोहर सरकार की मंशा अवैध कालोनियां विकसित होने से रोकने की है, बने हुए मकानों व आबादी क्षेत्र के भूखंडों की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध की नहीं है। इसका कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा।

वीरकुमार यादव, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

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