सेना ने किया मिलिट्री ट्रेन का ट्रायल, पाकिस्तान से सटी सीमा पर तैनात जवानों तक जल्द सैन्य साजो-सामान पहुुंंचाने में मिलेगी मदद
भारतीय सेना ने रेवाड़ी से वाहनों और उपकरणों से लदी सैन्य ट्रेन को ले जाकर सफल परीक्षण किया। सेना की जरूरत का सामान भी पाकिस्तान की सीमा तक जल्दी भेजना संभव हो जाएगा। मिलेट्री ट्रेन न्यू रेवाड़ी स्टेशन से न्यू फुलेरा स्टेशन के लिए रवाना हुई।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। पश्चिम डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर (डीएफसी) संकट के समय सामरिक जरूरत भी पूरी करेगा। इस कारिडोर के जरिए केवल सामान की आवाजाही ही सुगम नहीं होगी बल्कि सेना की जरूरत का सामान भी पाकिस्तान की सीमा तक जल्दी भेजना संभव हो जाएगा। सोमवार को यह सपना उस समय साकार होता दिखा जब पहली ट्रायल मिलेट्री ट्रेन न्यू रेवाड़ी स्टेशन से न्यू फुलेरा स्टेशन के लिए रवाना हुई। डीएफसी का न्यू रेवाड़ी-न्यू फुलेरा खंड उसी 306 किमी लंबे न्यू रेवाड़ी-न्यू मदार खंड का हिस्सा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष 11 जनवरी को वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया था।
डीएफसी (समर्पित माल गलियारा) ट्रैक पर कंटेनर ट्रेनों की गति सामान्य से तीन से चार गुणा अधिक है। ऐसे में इस ट्रैक पर मिलिट्री ट्रेनों का आवाजाही का समय भी कम हो जाएगा। संकट के समय यही रफ्तार देश के लिए मददगार बनेगी। सोमवार को जिस समय मिलिट्री ट्रेन रवाना हुई उस समय आसपास के लोग भी रोमांचित हुए बिना नहीं रहे। मालवाहक ट्रेन में रखी तोप दूर से ही नजर आ रही थी। ताेप व अन्य सामारिक महत्व के उपकरण देखकर लोग रोमांचित हुए।
मोदी ने बताया था गेेम चेंजर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में हुए वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से न्यू अटेली स्टेशन का उदघाटन भी किया था और इसी दिन न्यू अटेली से न्यू किशनगढ़ तक 1.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी का शुभारंभ किया था। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया था, जिनके यहां डेढ़ किमी लंबी डबल स्टैक ट्रेन (ऊपर नीचे कंटेनर के अलावा सामान्य से दो गुना लंबाई) की सुविधा मौजूद है। उसी दिन पीएम ने यह कहा था पूर्वी व पश्चिमी कारिडोर गेम चेंजर होंगे।
उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई तक जाने वाले पश्चिमी कारिडोर का न्यू रेवाड़ी से ब्यावर तक का हिस्सा बनकर तैयार हो चुका है, जबकि शेष पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। उद्यमियों व व्यापारियों के लिए तो सामान की आवाजाही सुगम होने के कारण यह ट्रैक वरदान बनेगा ही, भारतीय सेना के लिए भी यह एक विशेष गलियारा होगा।