Shuarya Gatha : साथियों का बदला लेते हुए शहीद हो गए हरि सिंह

सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान 18 फरवरी 2019 को पुलवामा के पिगलाना में सेना को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। सेना की ओर से सर्च अभियान शुरू किया गया था। इस आपरेशन में सिपाही हरि सिंह भी शामिल थे।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 04:53 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 04:53 PM (IST)
Shuarya Gatha : साथियों का बदला लेते हुए शहीद हो गए हरि सिंह
राजस्थान की सीमा से सटा गांव राजगढ़ आज शहीद हरि सिंह के नाम से जाना जाता है।

रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा व रोष था। सेना व अर्ध सैनिक बलों के जवान हमले में शहीद हुए साथियों की शहादत का बदला लेने को आतुर थे। पुलवामा हमले के तुरंत बाद शुरू किए गए सर्च अभियान में शामिल जिले के गांव राजगढ़ निवासी सिपाही हरि सिंह अपने साथियों का बदला लेते हुए मातृभूमि के लिए शहीद हो गए थे। हरि सिंह सेना की 55 आरआर बटालियन में तैनात थे। मरणोपरांत शहीद हरि सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।

18 फरवरी को हुए थे शहीद

सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान 18 फरवरी, 2019 को पुलवामा के पिगलाना में सेना को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। सेना की ओर से सर्च अभियान शुरू किया गया था। इस आपरेशन में सिपाही हरि सिंह भी शामिल थे। मुठभेड़ के दौरान हरि सिंह शहीद हो गए थे। उनकी शहादत पर पूरे देश को गर्व है। स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल शहीद के घर पहुंचे थे। गांव में उनकी याद में स्मारक भी बनाया गया है।

जिंदा पकड़े थे दो आतंकी

हरि सिंह के दादा श्योलाल व पिता अगड़ी सिंह भी सेना में थे। साहस व राष्ट्रभक्ति उनके खून में थी। परिवार की सैन्य परंपरा को कायम रखते हुए हरि सिंह अप्रैल 2011 में सिपाही पद पर सेना में भर्ती हो गए। सेना की भर्ती देखने के दौरान उनके पिता का निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद हरि सिंह ही तीन बहनों, मां, पत्नी राधाबाई व दस माह का बेटे लक्ष्य का सहारा थे।

शहीद हरि सिंह के नाम से जाना जाता है राजस्थान की सीमा से सटा गांव राजगढ़

हरि सिंह पहले भी अपने अदम्य साहस का परिचय दे चुके थे। नवंबर 2018 में सेना की ओर से चलाए गए सर्च अभियान के दौरान उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकी जिंदा पकड़े थे, जिसके लिए सेना की ओर से उन्हें प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया था। राजस्थान की सीमा से सटा गांव राजगढ़ आज शहीद हरि सिंह के नाम से जाना जाता है।

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