Haryana Politics: दुविधा में फंसे पूर्व मंत्री और भाजपा नेता जगदीश यादव, बढ़ गई जसवंत की टीस

अहीरवाल से अधिकांश पूर्व मंत्रियों को टीम धनखड़ में जगह मिली मगर कोसली क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री जगदीश यादव और बावल में फिर से राजनीतिक जमीन तलाश रहे पूर्व मंत्री जसवंत को जगह नहीं मिल पाई है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:26 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:26 AM (IST)
Haryana Politics: दुविधा में फंसे पूर्व मंत्री और भाजपा नेता जगदीश यादव, बढ़ गई जसवंत की टीस
Haryana Politics: दुविधा में फंसे पूर्व मंत्री और भाजपा नेता जगदीश यादव, बढ़ गई जसवंत की टीस

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। सोमवार को घोषित हुई भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी से पूर्व मंत्री जगदीश यादव की दुविधा और जसवंत सिंह बावल की टीस बढ़ गई है। कार्यकारिणी पर निगाह डालें तो इसमें खास राजनीतिक संकेत छुपे हैं। अहीरवाल से अधिकांश पूर्व मंत्रियों को टीम धनखड़ में जगह मिली, मगर कोसली क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री जगदीश यादव और बावल में फिर से राजनीतिक जमीन तलाश रहे पूर्व मंत्री जसवंत को जगह नहीं मिल पाई है।

सूत्रों के अनुसार जगदीश का नाम ’दुविधा’ के चलते टीम धनखड़ से नदारद हुआ है। जगदीश वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों से पूर्व भाजपा में तब आए थे, जब मुख्यमंत्री 75 पार का नारा देकर अपने विशेष रथ से प्रदेश नापने निकले थे। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने जगदीश की एंट्री पर सार्वजनिक नाराजगी जता दी, जिसके चलते उन्हें टिकट से वंचित रहना पड़ा, मगर टीम भाजपा में बतौर पूर्व मंत्री उनकी एंट्री तय मानी जा रही थी। सूची में नाम न आने की वजह से जगदीश की दुविधा बढ़ गई है। इससे पूर्व कभी उनकी भूपेंद्र हुड्डा से निकटता की चर्चाएं चलती रहती हैं तो कभी भाजपा के कार्यक्रमों से उनका दूर रहना भी चर्चा में रहता है। कार्यक्रमों से दूरी बनाने का दूसरा पक्ष यह भी है कि राव के विरोध के बाद भाजपा ने भी उन्हें सम्मान के साथ याद नहीं किया। राव इंद्रजीत के विरोध के बाद अपने निर्णय को लेकर जितनी दुविधा में जगदीश रहे, उतनी ही दुविधा में पार्टी रही।

नई टीम से भविष्य के संकेत

भाजपा की नई टीम से भविष्य के संकेत भी स्पष्ट हैं। सक्रिय लोगों को सम्मान मिलेगा। निष्क्रियों को भाग्य पर छोड़ दिया जाएगा। दोहरी निष्ठापर पैनी निगाह रहेगी। भाजपा ने न तो राव इंद्रजीत के सामने समर्पण किया है और न राव की उपेक्षा की है। धनखड़ ने एक ओर जहां राव की बेटी आरती के अलावा उनके कुछ खास समर्थकों को जगह दी है, वहीं पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह व बिक्रम सिंह, विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष संतोष यादव और हरको बैंक के चेयरमैन अर¨वद यादव जैसे उन नामों को भी महत्व दिया है, जो राव की पसंद नहीं हैं।

नहीं था जसवंत का पैरोकार

जसवंत बावल जिला स्तर पर पार्टी की कुछ बैठकों व कार्यक्रमों में शामिल अवश्य हुए, मगर उनके पास ऐसा साथी नहीं था, जो मनोहर-धनखड़ के पास उनकी ठोस पैरवी कर सके। उन्हें बिन मांगे कुछ मिलने की उम्मीद थी, लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। एक के बाद एक कई सूचियां आईं, मगर उनका नाम गायब रहा। अंतिम मानी जा रही ताजा सूची ने उनकी भी टीस बढ़ा दी है। अब अहीरवाल में सर्वाधिक चर्चा इस बात की है कि दोनों पूर्व मंत्रियों का अगला कदम क्या होगा।

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