अजब ! मंत्री के लिए लगाए गए होर्डिंग से CM मनोहर लाल का फोटो और नाम गायब, इंद्रजीत छाए

संविधान में मंत्री की कुर्सी देना वैसे तो मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है परंतु नारनौल में लगे होर्डिंग-बैनर में न तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल की फोटो है व न ही उनका नाम।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 10:12 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 12:14 PM (IST)
अजब ! मंत्री के लिए लगाए गए होर्डिंग से CM मनोहर लाल का फोटो और नाम गायब, इंद्रजीत छाए
अजब ! मंत्री के लिए लगाए गए होर्डिंग से CM मनोहर लाल का फोटो और नाम गायब, इंद्रजीत छाए

नारनौल [महेश कुमार वैद्य]। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव के अभिनंदन के लिए नारनौल की तमाम प्रमुख सड़कों पर लगे होर्डिंग-बैनर इन दिनों खास चर्चा में हैं। संविधान में मंत्री की कुर्सी देना वैसे तो मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, परंतु नारनौल में लगे होर्डिंग-बैनर में न तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल की फोटो है व न ही उनका नाम। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की ओर से थोक के भाव गली-गली लगवाए गए इन होर्डिग-बैनर की भाषा यह बता रही है कि ओपी यादव को कुर्सी मनोहर ने नहीं, बल्कि राव इंद्रजीत सिंह ने दी है।

अधिकांश होर्डिंग ऐसे हैं, जिन पर जंग-ए-आजादी के नायक राव तुलाराम व पूर्व मुख्यमंत्री स्व. राव बिरेंद्र सिंह की फोटो के साथ राव इंद्रजीत व उनकी बेटी आरती राव की बड़ी-बड़ी फोटो हैं, परंतु भाजपा के किसी केंद्रीय व प्रदेश पदाधिकारी की एक भी फोटो नहीं है। इन होर्डिंग के जरिए ऐसा संदेश दिया जा रहा है कि ओमप्रकाश को मंत्री पद केवल और केवल राव इंद्रजीत की बदौलत ही मिला है। अगर होर्डिंग-बैनर के पीछे का संकेत मानें तो मुख्यमंत्री व राव इंद्रजीत सिंह के बीच फिर दूरियां बढ़ रही हैं।

सीएम के पास थे दूसरे विकल्प

यह सर्वविदित है कि यादव समुदाय से पहले नांगल चौधरी के विधायक डॉ. अभय सिंह यादव का नाम मंत्री पद के लिए चला था। मंत्रिमंडल विस्तार से दो दिन पहले तक भी उन्हीं का नाम आगे था। सूत्रों के अनुसार इस बीच अभय सिंह के कट्टर विरोधी नेताओं को ऐसे दस्तावेज हाथ लगे, जिनसे उनके नाम पर कैंची चलवाने में मदद मिली। इन दस्तावेजों में हालांकि कोई सिद्ध आरोप नहीं था, परंतु मुख्यमंत्री ने दूसरे नेताओं के सुझाव पर जब अन्य विकल्पों पर विचार किया तो दूसरी बार चुनाव जीतने वाले ओमप्रकाश पर उनकी नजर टिक गई। चूंकी कोसली से लक्ष्मण सिंह यादव व अटेली से सीताराम यादव पहली बार चुनाव जीते थे, इसलिए डॉ. अभय की जगह एकमात्र विकल्प ओमप्रकाश ही थे। मनोहर लाल चाहते तो दूसरे विकल्पों को जगह दे सकते थे, परंतु राव इंद्रजीत की भावनाओं को आदर देते हुए उन्होंने भी दिल्ली की सलाह पर ओमप्रकाश को वरीयता दी। ऐसे समय पर हुए बड़े बदलाव से राव इंद्रजीत सिंह फायदे में रहे। उनके दो सिपहसालार मंत्री बनने में कामयाब हो गए, हालांकि विभागों व वरीयता क्रम को लेकर अंदरखाने नाराजगी की खबरें भी आ रही है, परंतु केंद्रीय मंत्री की चौधर चलने की बात हर कोई स्वीकार कर रहा है।

ऐसे तो नहीं मिलेगा घी-खिचड़ी का जायका

राव इंद्रजीत जबसे भाजपा में आए हैं तब से यह चर्चा चली आ रही है कि उनके कार्यकर्ताओं व भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच घी-खिचड़ी का रिश्ता नहीं बन पाया। खुद राव इंद्रजीत सिंह यह बात कह चुके हैं। मनोहर व राव के बीच इन कारणों से रिश्ते भी तल्ख हुए, परंतु विधानसभा चुनावों से पूर्व राव ने उदारता दिखाते हुए मनोहर से प्रेम दिखाने में कमी नहीं छोड़ी। मनोहर भी राव के प्रति थोड़े से उदार रहे। ऐसे में कहीं इस तरह के होर्डिग-बैनर दोनों के बीच बनी प्रेम की कमेस्ट्री पर भारी न पड़ जाए।

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