ये हैं त्रिदेवियां: सैकड़ों बच्चों को दिलाया अधिकार

अमित सैनी, रेवाड़ी ये हैं त्रिदेवियां। इनके प्रयासों से सैकड़ों बच्चों को अपने परिवार

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Mar 2018 07:52 PM (IST) Updated:Fri, 23 Mar 2018 07:52 PM (IST)
ये हैं त्रिदेवियां: सैकड़ों बच्चों को दिलाया अधिकार
ये हैं त्रिदेवियां: सैकड़ों बच्चों को दिलाया अधिकार

अमित सैनी, रेवाड़ी

ये हैं त्रिदेवियां। इनके प्रयासों से सैकड़ों बच्चों को अपने परिवार का साथ मिला और न जाने कितने ही मासूमों को अपने दर्द से राहत। हम बात कर रहे हैं चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से जुड़ी उन तीन महिलाओं की जिसकी कमान तीन महिलाओं के हाथों में हैं। बच्चों पर जब कभी भी मुसीबत आती है तो इन तीनों के लिए उनको सुरक्षित महसूस कराना ही प्राथमिकता होती है।

तीन महिलाओं ने संभाली जिम्मेदारी

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में बतौर चेयरपर्सन कार्यभार संभाल रही नलिनी यादव पांच सालों से संस्था का कामकाज देख रही है। अपने कार्यक्षेत्र में 30 साल उन्होंने बच्चों के बीच ही बिताए हैं इसलिए उनकी हर भावना को वे बेहतर तरीके से जानती है। आरंभ से ही शिक्षण क्षेत्र से जुड़ी नलिनी यादव की वर्ष 1995 में उनकी बेसहारा बच्चों के लिए बनाए गए संस्थान आस्था कुंज में बतौर प्रोबेशन आफिसर ज्वाइ¨नग हुई। वर्ष 2004 तक उन्होंने बेसहारा बच्चों की देखरेख व उनकी जरूरतों के लिए काम किया। 2004 के बाद शहर के ही एक निजी स्कूल में बतौर ¨प्रसिपल उन्होंने ज्वाइन किया तथा यहां भी बाल मन को नजदीक से पढ़ा। 2012 में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में उनको ज्वाइ¨नग मिली। उनकी टीम में शामिल रजनी भार्गव वर्ष 2011 से तथा उपासना गुप्ता वर्ष 2016 से बतौर सदस्य चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से ही जुड़ी हुई हैं। इन तीनों की जोड़ी हर उस केस को समझ पाने और उसे समाधान तक ले जाने में सक्षम है जो बच्चों से जुड़े हैं। रजनी भार्गव जहां विभिन्न संगठनों में प्रधान पद तक पहुंची तथा उन्हें महिला सशक्तिकरण को लेकर विभिन्न संगठनों की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है। वहीं उपासना गुप्ता को वर्ष 2012 में महिला आयोग की ओर से महिला सशक्तिकरण को लेकर सम्मानित किया जा चुका है।

800 से ज्यादा केस संभाले, सैकड़ों को पहुंचाया घर

चेयरपर्सन नलिनी यादव बताती हैं कि पांच सालों में 800 बच्चों के केस उनके सामने आए। कोई अपने घर से भाग आया था तो किसी का परिवार ही नहीं था। बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले भी उनके सामने आते रहे। इन बच्चों को न्याय दिलाना ही इनकी प्राथमिकता रही। बच्चों की काउंस¨लग करने के साथ ही उन्हें सुरक्षित हाथों में पहुंचाना भी इनकी ही जिम्मेदारी होती है। रजनी भार्गव व उपासना गुप्ता बताती हैं कि जब कभी कोई केस आता है तो उन बच्चों के दर्द को सुनना उनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक होता है। ये इस टीम के प्रयासों का ही नतीजा है कि घर से निकले सैकड़ों बच्चों को उनके परिजनों की तलाश कर वापस घर पहुंचाया जा चुका है।

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