अंधता के कारण व निवारण के प्रति करें जागरूक : डीसी

जिला सचिवालय सभागार में उपायुक्त यशेंद्र सिंह की अध्यक्षता में जिला अंधता निवरण की बैठक हुई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:02 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:02 PM (IST)
अंधता के कारण व निवारण के प्रति करें जागरूक : डीसी
अंधता के कारण व निवारण के प्रति करें जागरूक : डीसी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : जिला सचिवालय सभागार में उपायुक्त यशेंद्र सिंह की अध्यक्षता में जिला अंधता निवारण समिति की बैठक हुई, जिसमें सिविल सर्जन डा. सुशील माही, एसएमओ डा. विजय प्रकाश, डा. दीपक, डा. कंचन, डा. सर्वजीत थापर, आइएमए के प्रधान डा. एके सैनी सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने कहा कि बुजुर्ग लोगों के मोतियाबिद के आपरेशन का कार्य शुरू करें तथा बच्चों में जो अंधता के कारण है, उसके प्रचार-प्रसार के लिए लोगों को जागरूक करें। उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि वहां लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है कि वह मोतियाबिद से ग्रसित हैं। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की आंखें कमजोर हैं, उनके टेस्ट करें तथा जिनके माता-पिता बच्चों के चश्मे खरीदने में असमर्थ हैं उन्हें निश्शुल्क चश्मे प्रदान करें।

बैठक में नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. कंचन ने बताया कि बच्चों में अंधता के मुख्य रूप से तीन कारण होते हैं, जिनमें कुपोषण, अधिक स्क्रीन देखना व आंखों की साफ-सफाई न होना शामिल है। उन्होंने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ होने वाली आंखों की सबसे सामान्य समस्या मोतियाबिद हैं, इस समय आंखों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और उनका लचीलापन भी कम हो जाता है। इससे व्यक्ति के देखने की क्षमता कम हो जाती है और उसे धुंधला दिखाई देने लगता है, जिससे निपटने के लिए विशेष मोतियाबिद आपरेशन किए जाते हैं। मोतियाबिद की समस्या 45 साल के बाद के लोगों में ज्यादा पाई जाती है। बच्चों की दृष्टि संबंधी समस्याएं एवं देखभाल के टिप्स डा. कंचन ने बताया कि आंखें, हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण, नाजुक और संवेदनशील अंग है। सुबह सो कर उठने से लेकर रात को सोने तक ये बिना रुके और बिना थके लगातार काम करती रहती हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि नवजात शिशुओं से लेकर किशोर उम्र के बच्चों के माता-पिता उनकी आंखों के स्वास्थ्य को लेकर कोई लापरवाही न बरतें। उन्होंने बताया कि नवजात शिशु की पलकों में सूजन, आंखों से पानी आना, आंसुओं की नली का बंद होना आदि का सही समय पर दवाइयों से उपचार किया जा सकता है।

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