जैव विविधता प्रबंध समिति करेगी प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

जंगल जल और नदी में प्रकृति का संतुलन बनाए रखने वाले पौधे और कीट की पहचान कर उन्हें संरक्षण करने की मुहिम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ लगातार सक्रिय हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 04:47 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 04:47 PM (IST)
जैव विविधता प्रबंध समिति करेगी प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
जैव विविधता प्रबंध समिति करेगी प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जंगल, जल और नदी में प्रकृति का संतुलन बनाए रखने वाले पौधे और कीट की पहचान कर उन्हें संरक्षण करने की मुहिम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ लगातार सक्रिय हैं। ये लोग वन क्षेत्रों का दौरा कर पौधे, जलवायु, कीट आदि संपदाओं की खोज कर रहे हैं। अब इस खोज को व्यापक बनाने के साथ जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन के लिए जैव विविधता प्रबंध समितियों (बीएमसी) का गठन किया जा रहा है।

हरियाणा राज्य जैव विविधता बोर्ड परियोजना के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थाओं (आइआइटी), शिक्षण संस्थाओं के विषय विशेषज्ञ और विभिन्न क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को जोड़ा जाएगा। जैव विविधता प्रबंध समितियों (बीएमसी) में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के सहयोग से विभिन्न वन क्षेत्रों में जाकर जन जैव विविधता पुस्तिका तैयार कराई जाएगी। इस पुस्तिका में विविध संसाधनों, पौधों,जीव जंतुओं, फसलों, फूलें, धाम, तितलियों, कीटों, औषधीय और औषधी गुणों की व्यापक सूचना एकत्रित किया जाएगा। भारतीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के विज्ञानी सौरभ पांडेय और एनएच कंसल्टिंग समूह की प्रबंध निदेशक प्रियम भारद्वाज का कहना है कि समितियों के गठन के बाद विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद जीव, जंतुओं, पौधों, कीट, तितलियों का विवरण एक पुस्तिका में दर्ज की जाएगी। यह पुस्तिका बाद में समाज को जागरूक बनाने में अहम होगी। एनएच कंसल्टिंग समूह के चेयरमैन धनंजय कुमार ने बताया कि हमारे आसपास प्रकृति की गोद में अनगिनत औषधीय पौधे और जीव जंतु मौजूद हैं लेकिन इनकी पहचान और संरक्षण को लेकर जागरूकता के अभाव में संरक्षण नहीं हो पा रहा है। बीएमसी के माध्यम से तैयार पुस्तिका जैव विविधता का संरक्षण, जैव संसाधनों का पौषणीय उपयोग और भविष्य में इनकी उपयोगिता के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।

जैव विविधता पंजीकरण समिति में अध्यक्ष के साथ अधिकतम छह ऐसे व्यक्ति शामिल होंगे, जिसमें महिलाओं को शामिल किया जाएगा। राजकीय महिला महाविद्यालय रेवाड़ी की एसोसिएट प्रोफेसर एवं कीट विशेषज्ञ डा. कविता सैनी ने बताया कि रेवाड़ी जिले के राजगढ़, टांकड़ी, खोल, महेंद्रगढ़ जिले और झज्जर के वन क्षेत्रों में जाकर टीम ने विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों, कीट और तितलियों की पहचान की थी। पौधों और जीवों की प्रजातियों, विभिन्न प्राकृतिक स्थानों और अनुवांशिकी में जैव विविधता पाए जाने के कारण पर्यावरण को उत्तम बनाए रखने और उत्पादकता को बढ़ाने के साथ जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से निपटने के लिए जैव विविधता को बचाए रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है। हरियाणा राज्य जैव विविधता बोर्ड के जिला संयोजक आशीष सिंह कादियान, ऊमाशंकर, पवन, मोहित, देशराज, शक्तिसिंह, स्वरूप, मनीष कुमार आदि शामिल थे।

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