हरियाणा के इस शहर की हवा होती जा रही जहरीली, प्रदूषण का स्‍तर खतरनाक

यमुनानगर में प्रदूषण का स्‍तर लगातार गिरता जा रहा है। अब तो एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 360 तक पहुंच गया है। इससे सांस के मरीजों को और ज्‍यादा परेशानी हो रही है। सड़कों के कच्चे बरम भी बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 11:55 AM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 11:55 AM (IST)
हरियाणा के इस शहर की हवा होती जा रही जहरीली, प्रदूषण का स्‍तर खतरनाक
यमुनानगर की हवा में प्रदूषण स्‍तर गहराता जा रहा है।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। यमुनानगर शहर के लोग सांस लेने के लिए शुद्ध हवा को तरस गए हैं। वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इसमें फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाला काला धुंआ हो या फिर सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट वाहन। बढ़ते वायु प्रदूषण से लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। हवा को गंदा करने वाले उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की कार्रवाई केवल फाइलों तक सिमट गई है। सबसे ज्यादा प्रदूषण इंडस्ट्रियल व आसपास के लगते एरिया में है।

60 से अधिक नहीं होना चाहिए पीएम 2.5

हवा में मौजूद पीएम 2.5 का स्तर शहर में 360 तक पहुंच जाता है। जबकि पीएम 2.5 का स्तर औसतन 60 होना चाहिए। इसी तरह पीएम-10 का स्तर 290 को तक पहुंच गया है। अभी तो सर्दी ठीक से शुरू भी नहीं हुई और ये हाल है। नवंब, दिसंबर व जनवरी में क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया सकता है। इन महीनों में प्रदूषण के साथ-साथ कोहरा भी पड़ने लगेगा। प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से लोग दमा व कैंसर के शिकार हो रहे हैं। लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

सड़कों पर दिनरात उड़ रही धूल

इंडस्ट्रियल एरिया में एक हजार से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं। जिनमें बॉयलर चलता है। इसका तापमान इतना अधिक होता है कि आसपास खड़ा होना भी मुश्किल हो जात है। फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख हवा में मिल जाती है। फैक्टरी में एपीसीएम यानि वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगा होना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। वहीं सभी सड़कों के बरम कच्चे हैं। बरम की मिट्टी वाहनों के टायरों से उड़ जाती है। यही मिट्टी हवा में मिलकर प्रदूषण बढ़ाती है।

भविष्य के बारे में सोचना होगा : अजय गुप्ता

पर्यावरणविद डॉ. अजय गुप्ता का कहना है कि शहर की हवा दिल्ली से भी प्रदूषित है। दो वर्ष पूर्व उनकी टीम ने शहर में विभिन्न जगहों पर वायु प्रदूषण की जांच की थी। प्रदूषण का स्तर हवा में बहुत ज्यादा था। हवा में कार्बन डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि गैसें सांस लेने के साथ हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके अलावा उल्टी, सिर दर्द, आंखों में जलन, बेचैनी हो जाती है। वहीं विषैली गैसों के कारण कैंसर का खतरा होता है और दिल की बीमारी होने का डर भी बना रहता है।

कार्रवाई करते हैं : निर्मल कुमार

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ निर्मल कुमार का कहना है कि किसी भी तरह का प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाती है। वायु प्रदूषण की आनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है।

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