रिश्तेदारों का विरोध झेला, पिता के साथ से नैना बनीं सिरमौर पहलवान
एशियन अंडर-23 कुश्ती चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता 22 वर्षीय नैना ने आठ साल पहले कुश्ती के दाव-पेच सीखे तो रिश्तेदारों ने विरोध किया।
विजय गाहल्याण, पानीपत
एशियन अंडर-23 कुश्ती चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता 22 वर्षीय नैना ने आठ साल पहले कुश्ती के दाव-पेच सीखे तो रिश्तेदारों ने विरोध किया। पिता रामकरण को हिदायत दी कि बेटी कुश्ती करेगी तो समाज में बदनामी होगी। चोट से कोई अंग भंग हो गया तो कोई शादी भी नहीं करेगा। अच्छा रहेगा कि पढ़ा लिखा कर बेटी की शादी करा दे। पिता ने किसी की बातों की परवाह नहीं की और बेटी का साथ दिया। नैना ने भी पिता का मान रखा और कड़ा अभ्यास कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 22 पदक जीतकर झोली में डाल दिए। इससे न सिर्फ विरोध करने वाले की जुबां पर ताला लगाया, बल्कि उन्हें मुरीद भी बना लिया। वे रोड़ समाज की देश की पहली महिला पहलवान है जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं। अब सीनियर अंडर-23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में 72 किलोग्राम में दमखम दिखाएंगी। यह प्रतियोगिता 27 अक्टूबर से 3 नवंबर तक हंगरी में होगी। नैना से प्रेरित हो समाज के लोगों का नजरिया बदला। अब वे बेटियों को अभ्यास के लिए खेलों के मैदान में भेज रहे हैं। बेटी से हारा तो बनाया पहलवान
जिला स्तर पर कई कुश्ती जीत चुके रामकरण ने बताया कि वे राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती नहीं जीत पाया। इसका मलाल रहा। आठ साल पहले बेटी नैना ने उसे दांव लगाया और इच्छा जताई कि कुश्ती का अभ्यास करना है। बेटी को जींद के निडानी में अखाड़े में छोड़ दिया। डेढ़ महीने बाद बेटी अभ्यास छोड़ घर लौट आईं। पत्नी बाला देवी ने बेटी को समझाया कि उन्होंने रिश्तेदारों का विरोध झेल कर उसे पहलवान बनाने की ठानी है। अब ऐसा करेगी तो उनके समाज का कोई माता-पिता बेटी को कुश्ती नहीं कराएगा। इसके बाद से नैना ने अभ्यास किया और डेढ़ साल के भीतर है कैडेट में नेशनल में स्वर्ण पदक जीता। अब रिश्तेदार बधाई देते हैं।
पिता को समर्पित करना है स्वर्ण पदक
पांच बार भारत केसरी का खिताब जीत चुकी नैना ने बताया कि गत वर्ष विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में वे पांचवें नंबर पर रही थी। इस बार इंडिया कैंप लखनऊ और सर छोटूराम स्टेडियम रोहतक में कोच मनदीप के पास अभ्यास किया है। लैग अटैक से चित होने की कमजोरी दूर की है। उसका लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना है। पदक वे पिता को समर्पित करेंगी।