कोरोनाकाल में दुनिया ने माना आयुर्वेद का महत्व, जानिये क्या कहते हैं हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष डॉ. जयदीप आर्य

हरियाणा योग आयोग के चेयरमैन डॉ. जयदीप आर्य ने एलोपैथी और आयुर्वेद के बीच तुलना को व्यर्थ बताया। उनका कहना है कि दोनों पद्धतियों का अपना महत्व है। कोरोना से संक्रमित हुए करीब 85 प्रतिशत मरीज योग और आयुर्वेद के उपचार से ठीक हुए।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 02:50 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 02:50 PM (IST)
कोरोनाकाल में दुनिया ने माना आयुर्वेद का महत्व, जानिये क्या कहते हैं हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष डॉ. जयदीप आर्य
डॉ. आर्य ने कहा कि चिकित्सा के नाम पर अनुचित संदेश देने वाला एजेंडा चलाना सही नहीं है।

करनाल, जेएनएन। एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों को लेकर हाल में छिड़े विवाद के बीच हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष डॉ. जयदीप आर्य ने अहम राय रखी है। उनका साफ कहना है कि चिकित्सा विज्ञान में एलोपैथी का योगदान नकारा नहीं जा सकता। उसका पूरा सम्मान है। लेकिन, चिकित्सा के नाम पर समाज को अनुचित संदेश देने वाला कोई अन्य एजेंडा चलाना सही नहीं है। ऐसा होने पर एक स्वर से मुखर विरोध होना चाहिए।   

डॉ. आर्य ने ये विचार हाल में रेडियो ग्रामोदय के एक कार्यक्रम में हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान से वार्ता में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने में आयुर्वेदिक दवाओं और योग की उपयोगिता को आज सभी मान रहे हैं। आयुर्वेद की महत्ता विश्व स्तर पर प्रमाणित हो चुकी है। इसलिए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी का विवाद निरर्थक है। यह किसी आयुर्वेद विरोधी रणनीति का हिस्सा अवश्य हो सकता है। इससे स्पष्ट है कि यदि चिकित्सा पद्धतियों के नाम पर कोई धर्मांतरण का एजेंडा चलाए या भारतीय संस्कृति पर हमला करे तो उसका मुखर विरोध नितांत आवश्यक है। 

योग व आयुर्वेद से ठीक हुए मरीज 

बकौल डॉ. जयदीप, कभी भारतीय चिकित्सा विज्ञान काफी उन्नत अवस्था में था। लेकिन, स्वाधीनता के बाद इस दिशा में ज्यादा काम नहीं हो पाया। इसमें कोई संदेह नहीं कि एक न एक दिन आधुनिक चिकित्सा पद्धति को भारतीय संस्कृति और इसके चिकित्सा विज्ञान की शरण में आना ही होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना से संक्रमित हुए करीब 85 प्रतिशत मरीज योग और आयुर्वेद के उपचार से ठीक हुए। आयुष मंत्रालय के ऐप पर इसके प्रामाणिक दस्तावेज मौजूद हैं, जिसे दुनिया भर के विशेषज्ञों ने माना है।

हरियाणा में कोरोना किट में दीं आयुर्वेदिक दवाएं

डॉ. आर्य के मुताबिक, हरियाणा पहला ऐसा राज्य है, जिसने कोरोना मरीजों के उपचार के लिए दी जाने वाली कोरोना किट में एलोपैथी दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी शामिल करने का साहस दिखाया। इसके व्यापक सकारात्मक परिणाम सामने आए। वायुमंडल में मौजूद कोरोना वायरस को नष्ट करने के लिए प्रदेश के गांव-गांव में यज्ञ के वाहन चलाए गए। कोरोना के उपचार में कोरोनिल अत्यंत लाभकारी है। इससे आयुर्वेद का व्यापक महत्व स्वयं स्पष्ट है। 

चारों तरफ जगाएंगे योग की अलख 

योग आयोग की भावी गतिविधियों के संदर्भ में डॉ. आर्य ने बताया कि स्कूली पाठ्यक्रमों में योग को शामिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एससीईआरटी के साथ मिलकर आयोग ने एक सिलेबस तैयार किया है, जिसे इसी सत्र से लागू कर दिया जाएगा। हरियाणा देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस समारोहों में योग को शामिल किया गया है। इन समारोहों में सूर्य नमस्कार समेत योग की अन्य प्रस्तुतियां निर्धारित कर दी गई हैं।

हरियाणा के गावों में बनेंगी एक हजार योगशालाएं

हरियाणा सरकार भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रही है। इसके तहत प्रदेश के गावों में एक हजार योगशालाओं के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 1500 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए गए हैं। अब तक 528 व्यायामशालाओं का निर्माण पूरा हो चुका है और इनमें योग शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी जून के पहले हफ्ते तक पूरी कर ली जाएगी।

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