World AIDS Day: टीबी की जांच कराने आए तो निकले एचआइवी पाजिटिव, स्वास्थ्य अधिकारी भी हैरान
World AIDS Day आज विश्व एड्स दिवस है। कुरुक्षेत्र में दस केस ऐसे आए जिन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया। टीबी जांच के लिए मरीजों की रिपोर्ट में एचआइवी संक्रमण की पुष्टि हुई। एचआइवी रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। World AIDS Day: विश्व एड्स दिवस आज यानी एक दिसंबर को है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एचआइवी के मरीजों को क्षय रोग भी अपनी चपेट में ले रहा है। एलएनजेपी अस्पताल में क्षय रोग की जांच कराने आए 12 मरीजों को एचआइवी होने की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि एचआइवी रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देता है। जिसकी वजह से दूसरे संक्रमण उन्हें अपनी चपेट में ले लेते हैं।
क्षय रोग का वायरस भी अवसरवादी संक्रमण है, जो क्षय रोगी के संपर्क में आते ही एचआइवी मरीज के शरीर पर हावी हो जाता है। इसके अलावा जो लोग बीच में दवा छोड़ते हैं उन पर भी इसका खतरा बढ़ जाता है। जिले में पिछले साल 10 ऐसे मरीज मिले थे, जो टीबी की जांच कराने आए और उन्हें एचआइवी होने की बात पता चली। इसके अलावा वर्ष 2021 में ऐसे दो ही मरीज सामने आया है।
10,228 लोगों की जांच
जिले में वर्ष 2021 में 10 हजार 228 लोगों की जांच की गई। इनमें से 31 लोग एचआइवी पाजिटिव मिले हें। इनमें एक गर्भवती महिला और दो क्षय रोगी मिले हैं। वहीं, अगर पिछले साल की बात करें तो 2020 में 17,220 लोगों की जांच की गई। जिनमें से 77 लोगों को एचआइवी होने की पुष्टि हुई थी। इनमें से 10 क्षय रोगी निकले। वहीं, दो गर्भवती महिलाओं को एचआइवी पाजिटिव पाया गया था।
26 एचआइवी संक्रमित महिलाओं ने जन्मे संक्रमण रहित बच्चे
एचआइवी संक्रमित महिलाओं की कोख से जिले में 26 बच्चे संक्रमण रहित जन्मे हैं। वर्ष 2016 में सात, 2017 में आठ, 2018 में पांच, 2019 में तीन, 2020 में दो और 2021 में एक एचआइवी संक्रमित महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया। खास बात यह रही कि दवाओं की मदद से इन बच्चों को एचआइवी होने से बचाया जा सका।
क्षय रोगियों की एचआइवी रिपोर्ट आने के बाद शुरू करते हैं दवा : डा. संदीप
एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. संदीप अग्रवाल ने बताया कि एचआइवी होने पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। ऐसे में कई मरीज को दूसरी जांच कराने के दौरान भी पता चलता है। क्षय रोगी को प्राथमिक दवाई तो दे देते हैं, लेकिन पूरा कोर्स एचआइवी की रिपोर्ट आने के बाद शुरू कराते हैं। इसी दौरान कुछ मरीजों को एचआइवी होने का पता चलता है। क्षय रोग संक्रमण एचआइवी मरीजों को जल्दी अपनी चपेट में ले लेता है।