आक्सीजन का प्लांट है बरगद, वट सावित्री वत्र पर होती है पूजा

वट सावित्री व्रत दस जून को है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। धार्मिक ग्रंथों में बरगद के पेड़ का महत्व बताया गया है। यह पेड़ दूसरे पेड़ के मुकाबले पांच गुना अधिक आक्सीजन देता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 09:52 AM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 09:52 AM (IST)
आक्सीजन का प्लांट है बरगद, वट सावित्री वत्र पर होती है पूजा
आक्सीजन का प्लांट है बरगद, वट सावित्री वत्र पर होती है पूजा

जागरण संवाददाता, पानीपत : वट सावित्री व्रत दस जून को है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। धार्मिक ग्रंथों में बरगद के पेड़ का महत्व बताया गया है। यह पेड़, दूसरे पेड़ के मुकाबले पांच गुना अधिक आक्सीजन देता है। इसका मुख्य कारण इस पेड़ के सैकड़ों तने होते हैं, जो ऊपर से निकलते हुए जड़ तक भी चले जाते हैं। पत्ते भी बड़े-बड़े होते हैं। इस पेड़ की पूजा बोद्ध धर्म में भी की जाती हैं।

सेक्टर 12 स्थित सनातन धर्म शिव मंदिर के पंडित राम प्रकाश पाठक ने बताया कि सुहागिन महिलाएं हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखती हैं। यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध है। इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है। एक्सपर्ट व्यू

आइबी कालेज से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. प्राणनाथ ने बताया कि बरगद का पेड़ गांवों में तालाब के चारों तरफ व एक पेड़ गांव के बीच में लगाया जाता था। इसी पेड़ के चारों तरफ एक चबूतरा बना दिया जाता था, जहां गांव की पंचायतें भी होती थी। बरगद के पेड़ की आयु हजारों वर्ष तक होती है। इस पेड़ के वायु वाले एरियर तने होते हैं, जो जड़ों को मजबूत बनाते हैं। जब पेड़ बड़ा होता है तो लगता है कि जैसे पिलर पर खड़ा किया गया है। इस पेड़ के काफी चोड़े पत्ते होते हैं, जिससे छांव का आनंद भी अलग होता है। बरगद पेड़ के फायदे

बरगद के पेड़ को वट वृक्ष या बड़ का पेड़ भी कहा जाता है। बरगद के पेड़ से रोगों के इलाज में भी फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इसकी छाल, बीज, बरगद का दूध भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है। नाक, कान या बालों की समस्या दूर कर सकते हैं। पिछले कई सालों से रख रही वट सावित्री व्रत

सेक्टर 12 की रहने वाली महिला नीरजा सिगला ने बताया कि घर के पास ही एक पार्क और उसमें एक बरगद का पौधा लगा रखा है। व्रत के दिन इसी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। 10 जून को एक और पेड़ बरगद का लगाया जाएगा। सावित्री व्रत के दिन लगाएंगे बरगद का पौधा

हनुमान चौक की रहने वाली बेला भाटिया ने बताया कि कई सालों से वट सावित्री व्रत रख रही हूं। बरगद का काफी धार्मिक महत्व है। इस पेड़ से सबसे ज्यादा मात्रा में आक्सीजन निकलती है। इसीलिए व्रत के दिन एक बरगद का पौधा जरूर लगाएंगे। आइये, खुली जगह पर रोपें बरगद का पौधा, हमें बताएं

पर्यावरण संरक्षण के लिए आप भी पहल करें। खुली जगह पर बरगद का पौधा लगाएं। बरगद का पौधा तालाब किनारे, गांव की चौपाल में या फिर सार्वजनिक जगह पर लगाया जाना चाहिए। दरअसल, इसकी जड़ें दूर तक फैलती हैं। सरकारी या निजी नर्सरी से बरगद का पौधा मिल सकता है। आप अगर ये पौधा रोपते हैं तो हमें बताएं, ताकि सभी प्रेरित हों।

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