गुरुजी से कार्यालय में नहीं ले सकेंगे काम, ऐसा हुआ तो नपेंगे डीईईओ

गुरुजी का काम शिक्षा के मंदिर में बच्चों को ज्ञान देना है। लेकिन कुछ अधिकारी शिक्षकों को स्कूल से हटाकर अपने कार्यालयों में उनसे गैर शैक्षणिक कार्य करा रहे हैं। परंतु अब ऐसा नहीं चलेगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 08:06 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 08:06 AM (IST)
गुरुजी से कार्यालय में नहीं ले सकेंगे काम, ऐसा हुआ तो नपेंगे डीईईओ
गुरुजी से कार्यालय में नहीं ले सकेंगे काम, ऐसा हुआ तो नपेंगे डीईईओ

रामकुमार कौशिक, समालखा

गुरुजी का काम शिक्षा के मंदिर में बच्चों को ज्ञान देना है। लेकिन कुछ अधिकारी शिक्षकों को स्कूल से हटाकर अपने कार्यालयों में उनसे गैर शैक्षणिक कार्य करा रहे हैं। परंतु अब ऐसा नहीं चलेगा। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इसे गंभीरता से लेकर शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में शामिल न करने बारे सभी डीईओ व डीईईओ को पत्र लिख सख्त हिदायत दी है। साथ ही कहा है कि यदि ऐसा मिलता है तो उस जिले के डीईईओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

निदेशालय के पत्र के मुताबिक विभाग के संज्ञान में आया है कि कुछ शिक्षक स्कूलों में अध्यापन कार्य न करके जिला शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी या अन्य कार्यालयों में अपनी सेवाएं गैर शैक्षणिक कार्यो में दे रहे हैं। इससे न केवल विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है, बल्कि शिक्षक के अध्यापन की कार्यकुशलता के स्तर में गिरावट हो रही है। स्कूलों में अध्यापन कार्य न होने से विद्यार्थियों की संख्या घट रही है।

निदेशालय ने कहा है कि प्रत्येक अध्यापक को नियमित तौर पर स्कूल में उपस्थित होकर केवल अध्यापन का कार्य करना ही उनका मूल कार्य है। शिक्षा का उत्तरदायित्व बनता है कि वे अपने विद्यार्थियों को उचित शिक्षा, उचित मार्ग दर्शन, सहनशीलता सिखाए और इससे कहीं अधिक अच्छा नागरिक बनाकर उनके उज्जवल भविष्य में अपना योगदान दें। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता

निदेशालय का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के अनुसार अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्यो में नहीं लगाया जा सकता है। इसलिए निर्देशित किया जाता है कि स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों से केवल शैक्षणिक कार्य ही करवाया जाए। उन्हें विद्यालय से बाहर किसी भी प्रकार के प्रबंधन, पर्यवेक्षण, प्रशिक्षण आदि कार्यो में उनकी ड्यूटी न लगाई जाए। इससे शिक्षकों की विद्यार्थी, कक्षा से दूर होने की संभावना हो। शिक्षकों की स्कूल में दैनिक उपस्थिति अनिवार्य करना जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी का उत्तरदायित्व है।

पत्र वर्तमान में ऐसे सभी शिक्षक जो डीईओ, बीईओ कार्यालयों में पूर्ण और आंशिक तौर पर कार्य कर रहे हैं अथवा आपके स्तर पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए नोडल बनाए गए हैं। उन्हें तुरंत प्रभाव से स्कूलों में भेजते हुए उन्हें अपनी कक्षाओं में पढ़ाने के लिए निर्देशित करें। भविष्य में किसी भी प्रकार की ऐसी आन ड्यूटी की शिकायत मिलने पर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। निदेशालय ने उक्त आदेश का ²ढ़ता से पालन करते हुए एक सप्ताह के अंदर सभी डीईईओ से प्रमाण पत्र मांगा हैं। जिसमें वो देंगे कि उनके जिले में ऐसे सभी शिक्षकों को उनके स्कूलों में भेज दिया गया हैं।

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