अखाड़े बंद, अभ्‍यास छूटने लगा तो कोरोना को मात देकर भारत केसरी पहलवान बहन के पास पहुंच गया भाई

कोरोना महामारी की वजह से खिलाडि़यों का अभ्‍यास छूट गया। अखाड़े भी बंद हो गया। इसकी जानकारी जब भारत केसरी पहलवान नैना के भाई निखिल को लगी तो कोरोना को मात देकर उसके पास पहुंच गया। अब वो अभ्‍यास करा रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 09:25 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 09:25 AM (IST)
अखाड़े बंद, अभ्‍यास छूटने लगा तो कोरोना को मात देकर भारत केसरी पहलवान बहन के पास पहुंच गया भाई
पानीपत की रहने वाली भारत केसरी पहलवान नैना।

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। महावीर फौगाट। दंगल गर्ल बबीता और गीता फौगाट के पिता। अपनी छह बेटियों को कड़े अनुशासन में स्वयं अभ्यास कराकर ओलंपिक तक पहुंचाने वाले। कुछ ऐसा ही जज्बा है पानीपत के निखिल का जो अपनी बड़ी बहन नैना को अभ्यास करा रहा है। निखिल कोरोना संक्रमित था। कुश्ती में हरियाणा चैंपियन है।

जैसे अखाड़े में प्रतिस्पर्धी पहलवानों को चित कर देता है, वैसे ही कोरोना को भी हरा दिया। घर लौटा। पानीपत स्थित सुताना गांव में। वहां से बड़ी बहन नैना भारत केसरी पहलवान से मिलने रोहतक पहुंचा। वहां नैना को चिंता में देखा। नैना रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में कुश्ती का अभ्यास करती हैं। कोरोना महामारी के कारण स्टेडियम बंद हो गया।

वह इस चिंता में डूबी रहती कि आगे आने वाली प्रतिस्पर्धाओं के लिए घर में अभ्यास करे तो करे कैसे? उसके लिए कम से कम जोड़ीदार पहलवान तो चाहिए ही थी। निखिल ने तुरंत उसकी चिंता दूर कर दी। बोला-दीदी तुम मेरे साथ अभ्यास करो। और निखिल अपनी बड़ी बहन को अभ्यास कराने में जुट गया। अब वह बहन को सेक्टर-चार में उसके किराये के मकान और पास के पार्क में अभ्यास कराता है।

नैना बताती हैं कि भाई के साथ वह दांव-पेंच में भी सुधार कर रही है। भाई 200 पशुअप लगाता है तो वह 300 लगाती है। फिटनेस भी सुधर गई है। इसका फायदा उसे (नैना को) आगामी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में मिलेगा। नैना ने बताया कि भाई ने 2020 में भी लाकडाउन के दौरान चार महीने घर को ही अखाड़ा बना दिया था। मुङो अभ्यास कराता रहा, तभी नेशनल रजत पदक और भारत केसरी का खिताब जीत पाई। वह हमेशा मुङो प्रोत्साहित करता है।

पिता के सपने को जी रहे भाई-बहन

नैना के पिता रामकरण गांव के पूर्व सरपंच हैं। रामकरण को भी कुश्ती का शौक था, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से नामचीन पहलवान बनने का सपना पूरा नहीं कर पाए। बेटी नैना को अखाड़े में भेजा। बेटी की खुराक में कमी न रह जाए, इसके लिए जमीन बेच दी। नैना ने भी कठिन अभ्यास कर अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर पिता के सपने को पूरा किया। बेटा भी पिता के सपनों को साकार करने की ओर अग्रसर है।

नैना की उपलब्धियां

2019 में अंडर-23 एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

छह बार भारत केसरी का खिताब जीता।

2019 में आल इंडिया यूनिवर्सटिी गेम्स में स्वर्ण पदक। इसी प्रतियोगिता में पहले दो स्वर्ण और कांस्य पदक।

जूनियर नेशनल और अंडर-23 कुश्ती चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य पदक जीते।

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