देशभर में घटेगा 50 लाख हेक्टेयर गेहूं का रकबा, उत्पादन बरकरार रखना चुनौती, जानिए वजह

इस बार देश भर में गेहूं का रकबा घटेगा। इस वर्ष देश में रिकार्ड 109.52 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ। डीडब्ल्यूआर के मुताबिक देशभर में 25 मिलियन टन सरप्लस गेहूं की पैदावार हो रही है। 2 मिलियन टन निर्यात भी किया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 07:25 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 07:25 PM (IST)
देशभर में घटेगा 50 लाख हेक्टेयर गेहूं का रकबा, उत्पादन बरकरार रखना चुनौती, जानिए वजह
डीडब्ल्यूआर की प्रयोगशाला में शोध करते वैज्ञानिक।

करनाल, जागरण संवाददाता। कृषकों की अथक मेहनत और विज्ञानियों गहन शोध से देश में अन्न का भंडार भरपूर है। देश में इस वर्ष 109.52 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। लगातार छह वर्षों से गेहूं उत्पादन में हम आगे रहे हैं। इस समय देश में औसत 25 लाख मिलियन टन गेहूं सरप्लस पैदा हो रहा है। यही कारण है कि हम गेहूं के निर्यात की स्थिति में भी आ चुके हैं। इस साल दो मिलियन टन गेहूं को निर्यात भी किया गया है।

विज्ञानियों के चमत्कारी शोध व कृषकों की अथक मेहनत के फल को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसमें 50 लाख हेक्टेयर गेहूं का रकबा कम करने का निर्णय हुआ है। यह जानकारी भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि इस समय देशभर में 300 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की जाती है। आगे 250 लाख हेक्टेयर तक गेहूं बुआई को सीमित किया गया जाएगा। लेकिन यह कार्य हमें बिना क्षति के करना होगा। यह बहुत बड़ा चैलेज हैं। उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 वैरायटियों को रिलीज किया था, जिसमें से पांच गेहूं की थी, इनमें से तीन भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की हैं।

कैसे होगा संभव?

डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 50 लाख हेक्टेयर भूमि से जितन गेहूं इस समय पैदा हो रहा है, उतना गेहूं हमें बाकी के बचे रकबे से ही पूर्ण करना है। विज्ञानियों की टीमें अच्छी गुणवत्ता व अधिक उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्मों पर शोध कर रही हैं। प्रति हेक्टेयर 87.7 क्विंटल उत्पादन तक की किस्में तैयार हो चुकी हैं। हमारी कोशिश यही है कि ज्यादा उत्पादन व अच्छी गुणवता वाली किस्मों को तैयार किया जाए। ताकि हमारा जो लक्ष्य है उसको बिना क्षति के पूरा किया जाए।

गेहूं का रकबा कम करने से क्या फायदा होगा

50 लाख हेक्टेयर का जो रकबा कम हुआ है उसको फसल विविधिकरण में प्रयोग किया जाएगा। विशेषकर होर्टिकल्चर उत्पादों पर इस रकबे में लगाया जाएगा। भविष्य में छोटी जोत के किसान ज्यादा हैं, इसलिए कम जमीन में अच्छा मुनाफा कैसे कमाया जाए इस बात को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। किसानों की आमदनी दोगुनी कैसे हो, यह उसी प्लानिंग का हिस्सा है।

किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा गेहूं बीज

डा. जीपी सिंह ने कहा कि संस्थान से गेहूं का बीज प्राप्त करने के लिए हमारे पोर्टल  आइआइडब्ल्यूबीआरसीडडाटइन पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। पोर्टल पर डीबीडब्ल्यू-303, 187, 222 व 137 रजिस्टर्ड हैं। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। डीबीडब्ल्यू-303 के लिए 10 हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। तकनीकी खामियों के कारण पोर्टल बंद हो गया था, अब फिर से वर्किंग में आ गया है। किसान पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। बीज की उपलब्धता के आधार पर किसानों को वितरित किया जाएगा।

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