Haryana Weather Forecast News: हरियाणा में जून में मानसून ने किया निराश, मौसम विज्ञानियों के दावे से उम्‍मीद

मौसम विज्ञानियों का दावा- समय से पहले या देरी से आए मानसून का ओवरआल प्रदर्शन पर ज्यादा प्रभाव नहीं। 2004 में समय से दो सप्ताह पहले केरल पहुंचा था मानसून। लेकिन सामान्य से कम हुई थी बरसात। 1983 में मानसून ने लगभग दो सप्ताह की देरी से आया था।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 07:48 AM (IST) Updated:Fri, 02 Jul 2021 07:48 AM (IST)
Haryana Weather Forecast News: हरियाणा में जून में मानसून ने किया निराश, मौसम विज्ञानियों के दावे से उम्‍मीद
अब जुलाई और अगस्‍त में बारिश की उम्‍मीद।

करनाल, [प्रदीप शर्मा]। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने जून के प्रदर्शन से निराश किया है। हरियाणा, पंजाब व दिल्ली में सामान्य से कम बरसात दर्ज की गई है, जबकि जून माह सबसे अधिक बरसात का महीना माना जाता है। हरियाणा में जून माह में 50.5 एमएम सामान्य बरसात मानी गई है, लेकिन 49.5 एमएम बरसात के साथ महीना बीत गया। सामान्य से दो फीसदी कम बरसात हुई है।

इसी प्रकार पंजाब में 54.1 एमएम सामान्य बरसात मानी गई है, लेकिन 49.9 एमएम हुई, जो सामान्य से 8 फीसदी कम है। दिल्ली में तो बिल्कुल ही सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। यहां पर जून माह में औसत बरसात 64.1 एमएम होनी चाहिए थी, लेकिन महज 29.6 एमएम तक सिमटकर रह गई। जो सामान्य से 54 फीसदी कम है। समय से पहले मानसून की एंट्री के बाद यह परिस्थिति बनी हुई है। जून माह तो बीत गया है, लेकिन अब मौसम विज्ञानियों को जुलाई और अगस्त तक अच्छी बरसात की आस बंधी हुई है।

साल 2004 में सबसे पहले हुई थी मानसून की दस्तक, 2020 में सबसे देरी से गया था

मौसम विभाग के मुताबिक मानसून के पिछले कुछ वर्षों का विशलेषण किया जाए तो मानसून का आगमन सबसे जल्दी 18 मई 2004 को हुआ था। जबकि 2020 में 28 अक्टूबर को सबसे देरी से मानसून की वापसी हुई थी। अमूमन मानसून के चार माह जून से सितंबर माने जाते हैं, जिसमें जमकर बरसात होती है। लेकिन पिछले साल अक्टूबर तक बरसात का सिलसिला जारी रहा।

मानसून के पहले व देरी से आने पर समग्र प्रदर्शन पर असर बहुत कम

मौसम विज्ञानियों का मानना है कि मानसून समय से पहले आया हो, या फिर देरी से इसका ओवरआल मानसून के प्रदर्शन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। वर्ष 2004 में मानसून अपनी सामान्य तारीख से दो सप्ताह पहले यानि 18 मई को केरल में पहुंच गया था। जून के महीने में एलपीए (दीर्घकालिक औसत) की 100 प्रतिशित बरसात हुई। हालांकि मानसून सीजन 13.8 फीसदी की कमी के साथ सूखे के साथ समाप्त हुआ। जबकि 1983 में मानसून ने लगभग दो सप्ताह की देरी से 13 जून को केरल में दस्तक दी थी। जून के महीने में 16 प्रतिशत बरसात की कमी रही। लेकिन मानसून सीजन का अंत 12.6 फीसदी अधिक बरसात के साथ अलविदा हुआ।

पिछले कुछ सालों के जून माह में देशभर में मानसून प्रदर्शन की स्थिति

साल जून में हुई बरसात प्रतिशत में

2015 16 प्रतिशत

2016 -10 प्रतिशत

2017 05 प्रतिशत

2018 -5 प्रतिशत

2019 -33 प्रतिशत

2020 18 प्रतिशत

नोट : यह आंकड़े मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए हैं।

यह रही जून 2021 की स्थिति

मौसम विभाग के मुताबिक जून 2021 बड़े दैनिक बदलावों के साथ एक लहरदार महीना रहा है। पहले तीन सप्ताह में देशभर में दैनिक बरसात सामान्य से अधिक रही। मानसून ने तेज गति से आगे बढ़कर केवल 10 दिनों में 80 प्रतिशत क्षेत्र को कवर किया। दिल्ली में मानसून का जल्दी आगमन एक छोटे से अंतर से रह गया। अब दिल्ली को काफी इंतज़ार करना पड़ सकता है। मानसून की उत्तरी सीमा दिल्ली के बाहरी इलाके में और पंजाब और हरियाणा के छोटे से हिस्से से गुजर रही है।

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