यमुनानगर में मौसम ने ली करवट, उड़ाई किसानों की नींद, खेतों से लेकर मंडियों तक भीगा धान
इन दिनों धान की कटाई का सीजन पीक पर है। हल्की बारिश से भी किसानों को नुकसान है। रविवार को हुई बारिश व तेज हवाओं के कारण धान की फसल जमीन पर बिछ गई। इसकी कटाई में दिक्कत आएगी। क्योंकि क्षेत्र में लेबर संकट पहले से ही है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर। मौसम की करवट ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्षेत्र में सुबह कहीं हल्की तो कहीं जोरदार बारिश हुई। अनाज मंडियों में आया धान भीग गया। किसान व मजदूर धान को भीगने से बचाने में लगे रहे। परंतु मंडियों में पर्याप्त व्यवस्था न होने से धान भीग गया। जिससे किसानों को नुकसान हुआ। पहले ही नमी की मात्रा अधिक होने के कारण किसानों को अपनी धान बेचने में दिक्कत आ रही है। वहीं, खेतों में खड़ी धान की फसल भी बरसात से भीग गई। जिससे कटाई प्रभावित होगी। मौसम विभाग ने तीन दिनाें तक बरसात की संभावना जताई है। ऐसे में धान की कटाई धीमी हो सकती है।
मंगलवार तक खराब रहेगा मौसम
मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक 19 अक्टूबर तक मौसम तेज हवाओं व गरज के साथ बूंदाबांदी हो सकती है। किसानों को सलाह दी गई है कि इस दौरान सरसों की फसल की बिजाई न करें। लहसुन में पानी न दें। तीसरा, धान को मंडी में ले जाते समय सावधान बरती हैं। ट्राली में ढककर ले जाएं। रविवार को अधिकतम तापमान 26 व न्यूनतम 21, सोमवार को अधिकतम 22 व न्यूनतम 19, मंगलवार को अधिकतम 28 व न्यूनतम 21, बुधवार को अधिकतम 29 व न्यूनतम 21, वीरवार को अधिकतम 30 व न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
पीक पर धान का सीजन
इन दिनों धान की कटाई का सीजन पीक पर है। हल्की बारिश से भी किसानों को नुकसान है। रविवार को हुई बारिश व तेज हवाओं के कारण धान की फसल जमीन पर बिछ गई। इसकी कटाई में दिक्कत आएगी। क्योंकि क्षेत्र में लेबर संकट पहले से ही है। फसल के गिर जाने के बाद कंबाइन से कटाई भी मुश्किल हो जाती है। किसान रघुवीर व राजबीर सिंह का कहना है कि इन दिनों बारिश का नुकसान है। खेतों में फसल कटी पड़ी है। कटाई जोरों पर हैं।
मंडियों में नहीं पुख्ता इंतजाम
अनाज मंडियों में धान को बारिश से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं है। लाखों कट्टे खुले आसमान के नीचे हैं। दूसरा, शेड के नीचे अभी गेहूं के स्टाक हैं। हालांकि रविवार को जगाधरी अनाज मंडी में खरीद बंद रही है, लेकिन शनिवार को आया गेहूं खुले में ही पड़ा है। सुबह के समय जैसे ही बारिश शुरू हुई तो हड़कंप मच गया। धान को तिरपालों से ढकने का प्रयास किया गया, लेकिन बारिश के तेज बोछारों के कारण धान को भीगने से नहीं बचा पाए।