यमुनानगर में मौसम में बदलाव, तापमान में आई कमी, डेंगू का दर्द बढ़ रहा

मौसम में अचानक बदलाव आया है। तापमान में कमी आई है। इसके बावजूद डेंगू का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। हर रोज नए केस सामने आ रहे हैं। अभी तक 142 मरीज मिल चुके हैं। अब तक पांच साल का रिकार्ड टूट चुका है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 10:00 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 10:00 AM (IST)
यमुनानगर में मौसम में बदलाव, तापमान में आई कमी, डेंगू का दर्द बढ़ रहा
लगातार डेंगू के मरीज बढ़ रहे हैं।

जागरण संवाददाता, यमुनानगर। मौसम में ठंडक आ गई है, लेकिन अभी भी डेंगू का डंक कम नहीं हो रहा है। रोजाना नए मरीज सामने आ रहे हैं। सरकारी रिकार्ड में अभी तक 142 मरीज मिल चुके हैं। हालांकि निजी अस्पतालों में अभी भी काफी मरीज दाखिल हैं। इनमें से अधिकतर को डेंगू हुआ है। निजी लैब से उनकी रिपोर्ट डेंगू पाजिटिव आई है। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में डेंगू से किसी मौत नहीं हुई है, लेकिन जिले में चार मौतें हो चुकी हैं। इन मृतकों के स्वजन डेंगू से मौत होने का दावा कर रहे हैं, क्योंकि रिपोर्ट वह डेंगू पाजिटिव आए थे।

बरसात व ओलावृष्टि के बाद मौसम में ठंडक आ गई है। आमतौर पर मौसम ठंडा होने पर डेंगू का खतरा कम हो जाता है। इस ठंड में डेंगू फैलाने वाला मच्छर भी मर जाता है, लेकिन इस बार डेंगू मारक हो रहा है। ठंड होने के बावजूद मरीज बढ़ रहे हैं। रोजाना डेंगू के नए मरीज मिल रहे हैं। जिससे लोगों में दहशत बनी हुई है। इस समय जिले के निजी अस्पतालों में सबसे अधिक डेंगू व वायरल के ही मरीज हैं। कई अस्पतालों में बेड तक खाली नहीं है। सिविल अस्पताल में भी एक बेड पर दो-दो मरीज लिटाए गए हैं।

पांच साल का टूटा रिकार्ड :

वर्ष - डेंगू मरीज

2016 - 65

2017 - 70

2018 - 42

2019 - 51

2020 - 42

2021 - 142

प्लेटलेट्स की बढ़ रही मांग :

डेंगू के साथ-साथ वायरल में भी मरीजों की प्लेटलेट्स गिर रही है। ऐसे में प्लेटलेट्स की मांग भी बढ़ रही है। रक्तदानी संस्थाओं के पास लगातार इस संबंध में काल आ रहे हैं। निजी ब्लड बैंकों से भी लोग प्लेटलेट्स की मांग कर रहे हैं। सरकारी ब्लड बैंक की बात करें, तो यहां से 30 से 35 यूनिट तक रोजाना मरीजों के लिए दी जा रही है।

जिला मलेरिया अधिकारी डा. वागीश गुटैन का कहना है कि डेंगू से बचाव के लिए आसपास सफाई रखना जरूरी है। विभाग की ओर से लगातार इस बारे में अभियान चलाया जाता है। लोगों को समझाया जाता है कि वह अपने घरों में पानी एकत्र न होने दें। कूलरों, फ्रिज की ट्रे, खाली गमलों व छतों पर पड़े बर्तनों में यह लारवा पनपता है। छह हजार घरों में यह लारवा मिला था। जिन्हें नोटिस भी दिए गए थे।

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