हमें दुखों से घबराना नहीं चाहिए, श्रीराम और कृष्ण ने भी उठाए कष्ट : रामेश्वर शास्त्री
प्रसिद्ध कथा वाचक रामेश्वर शास्त्री ने कहा कि दुखों से घबराना नहीं चाहिए। उनका सामना करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रसिद्ध कथा वाचक रामेश्वर शास्त्री ने कहा कि दुखों से घबराना नहीं चाहिए। उनका सामना करना चाहिए। भगवान राम और कृष्ण ने कष्ट उठाए। हर किसी के जीवन में कष्ट आते हैं। वृंदावन से आए रामेश्वर शास्त्री महिला मंडल मलिक एनकलेव द्वारा जैन स्थानक में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह में बोल रहे थे। उन्होंने राम जन्म से लेकर राम बनवास तक का वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि भागवत में श्रीराम कथा का संक्षिप्त वर्णन मिलता है। कैकेयी ने दशरथ से राम के लिए 14 वर्ष का बनवास मांगा था, लेकिन जब दशरथ ने इंकार किया तो उसने कहा कि वह तो मर जाएगी। इतिहास यह कहेगा कि प्राण जाए पर वचन न जाए को निभाने वाले सूर्यवंशी दशरथ पलट गए। दाग धुल नहीं पाएगा। वचन का पालन करने के लिए दशरथ ने कैकयी की दिए वचनों का पालन करते हुए राम का बनवास भेजा। इस प्रकार
भगवान राम ने बनवास के कष्टों को झेला।
भागवत में कृष्ण जन्म का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि कंस अपने चचेरी बहन देवकी से बहुत प्रेम करते थे, उसे विदा कर रहे तब आकाशवाणी हुई कि उसकी आठवीं संतान तेरे काल का कारण बनेगी। देवकी को वे मारने के लिए तैयार हुए। वासुदेव ने कहा कि उसे नहीं मारें। संतान को उसे सौंप देगी। वासुदेव सच बोलते थे। उनकी बात यकीन कर कंस ने दोनों को जेल में डाल दिया। उनकी एक के एक बाद छह संतान को मौत के घाट उतार दिया। इन कठिन परिस्थिति में भगवान का जन्म हुआ। सातवें बलराम पधारे। योग माया के द्वारा नंद की पत्नी के गर्भ में स्थापित किया। आठवां पुत्र रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का रात 12 बजे अवतार हुआ। इसके साथ ही कथा स्थल मलिक एनकलेव नंद के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की''. भजनों से गूंज उठा। कथा स्थल पर नन्हें नंदलाल को वासुदेव टोकरी में लाते हैं। महिलाएं बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग नंदलाल के जन्म पर नाचते गाते रहे एक दूसरे को बधाइयां देते रहे हैं।