पहाड़ों में बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा, यमुनानगर में हथनीकुंड बैराज का जलस्तर 28 हजार पार

यमुनानगर के हथनीकुंड बैराज में वीरवार को अचानक जलस्तर बढ़ा। पहाड़ों में हुई बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ा है। यमुना नदी में 14 हजार क्यूसेक पानी का बहाव रहा। सामान्य दिनों में यमुना में मात्र 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 03:48 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 03:48 PM (IST)
पहाड़ों में बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा, यमुनानगर में हथनीकुंड बैराज का जलस्तर 28 हजार पार
पहाड़ों में बारिश के बाद यमुनानगर की पथराला नदी में बढ़ा जलस्तर।

यमुनानगर, जेएनएन। पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया। वीरवार को हथनीकुंड बैराज पर जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी हुई। जलस्तर बढ़कर 28111 क्यूसेक तक पहुंच गया। यमुना नदी में 14 हजार क्यूसेक पानी का बहाव रहा, जबकि सामान्य दिनों में यमुना नदी के प्रवाह को जीवित रखने के लिए केवल 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है। इसके अलावा सोम व पथराला नदी में भी जलस्तर बढ़ा है। हालांकि शाम के समय स्थिति सामान्य हो गई थी। उधर, क्षेत्र के जगाधरी, छछरौली व प्रतापनगर में हुई हल्की बूंदाबांदी से तापमान में गिरावट आई है। जगाधरी में 11, छछरौली में दो व प्रतापनगर में 28 एमएम बारिश हुई। औसत बारिश करीब छह एमएम हुई है। इससे लोगों को गर्मी से राहत जरूर मिली है।

रविवार के बाद तापमान बढ़ने की संभावना

मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक रविवार के बाद तापमान में बढ़ोतरी संभावित है। वीरवार को अधिकतम 34 व न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस, शुक्रवार को अधिकतम 33 व न्यूनतम 23, शनिवार को अधिकतम 33 व न्यूनतम 22, रविवार को अधिकतम 35 व न्यूनतम 25, सोमवार को अधिकतम 36 व न्यूनतम 25, मंगलवार को अधिकतम 37 व न्यूनतम 37 डिग्री सेल्सियस रह सकता है। इसके बाद भी तापमान में बढ़ोती हो सकती है।

तापमान में गिरावट से गर्मी से राहत

क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी के बाद तापमान में आई गिरावट के कारण गर्मी से काफी राहत मिली है। धान व गन्ना की फसल के लिए बूंदाबांदी लाभकारी बताई जा रही है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. जसिवंद्र सैनी का कहना है कि जिन क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई है, वहां फसलों को विशेष रूप से फायदा होगा। किसान इन दिनों धान की रोपाई में जुटे हुए हैं। इससे धान की रोपाई में तेजी आएगी। साथ ही गन्ना की फसल को भी फायदा होगा।

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