...बेटे के इंतजार में पथराईं मां की आंखें, दिल्ली से आने वाले हर चेहरे से सवाल करतीं हैं नजरें

ये कहानी है जींद की विधवा संतोष की। 26 जनवरी को छोटा बेटा विजेंद्र दिल्ली ट्रैक्टर परेड में गया था। पर उन्हें क्या पता कि आज के बाद बेटे को देख नहीं पाएंगी। बेटे के इंतजार में अब तो आंखों के आंसू भी सूख गए हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 02:50 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 02:50 PM (IST)
...बेटे के इंतजार में पथराईं मां की आंखें, दिल्ली से आने वाले हर चेहरे से सवाल करतीं हैं नजरें
परिवार ने विजेंद्र का पता लगाने वाले को 51 हजार देने की घोषणा की है। विजेंद्र की मां और भाई।

जींद, जेएनएन। साढ़े चार महीने पहले 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए गया गांव कंडेला का विजेंद्र आज तक नहीं लौटा है। विजेंद्र के बारे में किसी को भी कुछ पता नहीं है। बेटे के इंतजार में मां की आंखें पथरा गई हैं और दिल्ली की तरफ से आने वाले हर शख्स से विजेंद्र के बारे में पूछती हैं। स्वजनों ने विजेंद्र का पता लगाने वाले को 51 हजार रुपये देने की भी घोषणा की है। 

कंडेला गांव के खजान सिंह की विधवा 60 वर्षीय संतोष के अनुसार उसका बेटा विजेंद्र 24 जनवरी को दिल्ली में किसान की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए घर से गया था। उसके बाद से उसकी कोई खबर नहीं है। संतोष के 2 बेटे सुरेंद्र और विजेंद्र हैं। सुरेंद्र शादी-शुदा है, जबकि विजेंद्र की अभी शादी नहीं हुई है। संतोष का कहना है कि उसने बेटे विजेंद्र को दिल्ली के किसान आंदोलन की ट्रैक्टर परेड में भाग लेने के लिए रवाना किया था। तब उसने सोचा भी नहीं था कि वह अपने बेटे की दोबारा से शक्ल देखने तक को तरस जाएगी। साढ़े चार महीने से वह अपने बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रही है।

अब तो सूख गए आंखों के आंसू

संतोष के पास एक एकड़ से भी कम जमीन है। इसी जमीन पर संतोष के दोनों बेटे सुरेंद्र और विजेंद्र खेती कर किसी तरह अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं। बेटे के इस तरह गायब हो जाने के दर्द ने विधवा संतोष को अंदर से तोड़कर रख दिया है। बेटे विजेंद्र के बारे में बात करते संतोष पहले रो पड़ती थीं। लेकिन, अब उसकी आंखों के आंसू भी सूख गए हैं।

26 जनवरी को गांव के लोगों के साथ देखा था

विजेंद्र के भाई सुरेंद्र ने बताया कि वह अपने भाई को ढूंढने के लिए साढ़े चार महीने से धक्के खा रहा है। अभी तक उसके भाई का कोई पता नहीं चल सका है। वह खुद दिल्ली में एक महीने तक उसके भाई को ढूंढने के लिए लगा चुका है। 26 जनवरी को गांव के कुछ लोगों के साथ उसके भाई को अंतिम बार देखा गया था। लेकिन उसके बाद उसके भाई को किसी ने नहीं देखा। अखबार से लेकर पर्चे छपवाकर भी वह जगह-जगह लगा चुके हैं। विजेंद्र को ढूंढने वाले को 51 हजार रुपये देने की घोषणा भी की है। 

विजेंद्र को ढूंढने के किए जा रहे प्रयास : टेकराम कंडेला

सर्व खाप पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष टेकराम कंडेला ने कहा कि कंडेला गांव का 20 वर्षीय विजेंद्र 24 जनवरी से लापता है। विजेंद्र की तलाश के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वह जब भी खटकड़ टोल प्लाजा, टिकरी बार्डर जहां भी जाते हैं, वहां पर विजेंद्र की तलाश के लिए प्रयास करते हैं। किसान नेता राकेश टिकैत के सामने भी उन्होंने विजेंद्र के गुम होने का मामला उठाया था। 

कंडेला की संतोष के दर्द और दुख को सांझा कर चुके राकेश टिकैत 

कंडेला गांव के खजान सिंह की 60 वर्षीय विधवा संतोष के जिस दर्द को अब तक किसी भी किसान नेता या राजनीतिक नेता ने नहीं समझा था, उसके दर्द और दुख को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने समझा था। पिछले सप्ताह वीरवार को राकेश टिकैत जींद आए थे, तो संतोष से मिलने पहुंचे थे।राकेश टिकैत ने संतोष को आश्वासन दिया था कि उसके लापता हुए बेटे को ढूंढने का हर संभव प्रयास भारतीय किसान यूनियन करेगी।

बिजेंद्र को तलाशने के लिए प्रशासन को सात दिन का अल्टीमेटम

बिजेंद्र का पता लगाने की मांग को लेकर शुक्रवार को काफी संख्या में ग्रामीण डीसी डॉ. आदित्य दहिया से मिले। ग्रामीणों ने डीसी को हरियाणा और दिल्ली सरकार के नाम ज्ञापन देते हुए 18 जून तक बिजेंद्र का पता लगाने का अल्टीमेटम देते हुए 19 जून को जींद-चंडीगढ़ मार्ग पर कंडेला गांव में अनिश्चितकाल के लिए जाम लगाने की चेतावनी दी। डीसी ने ग्रामीणों को दिल्ली पुलिस के साथ संपर्क कर 18 जून तक युवक का पता लगाने का आश्वासन दिया।

ट्रैक्टर-ट्रालियों में लघु सचिवालय पहुंचे ग्रामीण

शुक्रवार को काफी संख्या में ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्रालियों में लघु सचिवालय पहुंचे। इनमें लापता युवक के परिजनों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं। कंडेला के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश ने बताया कि बिजेंद्र किसान ट्रैक्टर परेड में भाग लेने टिकरी बार्डर दिल्ली गया था। जो अंतिम बार उसी दिन नांगलोई के आसपास देखा गया था। उसके बाद आज तक कोई पता नहीं चला। ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए डीसी ने कहा कि इस बारे में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को लिखित में भेज दिया जाएगा। एक सप्ताह में तलाश करने की पूरी कोशिश की जाएगी। ज्ञापन देने वालों में राज सिंह कंडेला पूर्व सरपंच, छाजू राम कंडेला, राजबीर कंडेला, राज्य उपप्रधान किसान यूनियन पूनम रेढू, राकेश कंडेला शामिल थे।

भावुक हो उठी मां संतोष

युवक बिजेंद्र की विधवा बूढ़ी मां संतोष भी ग्रामीणाें के साथ बेटी की तलाश की गुहार लगाने पहुंची थीं। इस दौरान वो भावुक हो गई। उसने कहा कि जिसका जवान कमाने वाला बेटा लापता हो, उसका क्या हाल होगा। एक दिन बेटा घर नहीं आए, तो मां बेचैन हो जाती है। उसका बेटा तो साढ़े चार माह से घर नहीं आया है। पिछले पांच महीने से घर बिखर गया है, भूख-प्यास सब खत्म हो गए हैं। बस कहने को ही जिंदा हैं। कोई उसकी खबर ही दे दे कि किस हाल में है। दिल को शांति तो मिल जाएगी। दिल्ली की तरफ से आने वाले हर शख्स से विजेंद्र के बारे में पूछती हैं।

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