इन बीमारियों से बचाने के लिए कैथल में घर-घर जाकर पशुओं का टीकाकरण, छह लाख 90 हजार टीके लगाए
पशुओं के टीकाकरण के लिए कैथल में 20 टीमों ने किया घर- घर जाकर टीकाकरण। पशुओं को एक साल में मुह-खुर व गलघोंटू के लगाए छह लाख 90 हजार टीके। वहीं विभाग की ओर से सात लाख 30 हजार का लक्ष्य रखा गया था।
कैथल, जेएनएन। पशुपालन विभाग मुंह-खुर व गलघोंटू बीमारी को लेकर सर्तक है। इन दोनों बीमारियों से बचाने के लिए कैथल में पशुपालन विभाग की तरफ से अगस्त 2020 से लेकर अब तक छह लाख 90 हजार पशुओं को टीके लगाए गए हैं। विभाग ने सात लाख 30 हजार का लक्ष्य रखा था। बता दें कि पशुपालन विभाग की तरफ से छह महीने में एक बार पशुओं को टीका लगाया जाता है। ताकि पशुओं को इन जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकें।
दो बार चलता है साल में टीकाकरण
विभाग की तरफ से साल में दो बार टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। इसके तहत दुधारू पशु गाय व भैंस को टीका लगाया जाता है। पहला अभियान अगस्त से दिसंबर तक होता है। दूसरा अभियान जनवरी से लेकर जून तक होता है।
तीन लाख 45 हजार के करीब पशुओं को लगाया टीका
जिले भर में तीन लाख 45 हजार हजार पशुओं को टीका लगाया गया। गलघोंटू एक जानलेवा बीमारी है। अगर समय रहते इस बीमारी का रोकथाम न हो, तो इससे पशु की जान भी जा सकती है। इस बीमारी वाले पशु की 24 घंटों में ही मौत हो जाती है। इसलिए इस बीमारी के प्रति पशुपालको को सचेत रहना बहुत आवश्यक है। पशु पालकों में धारणा बनी रहती है कि टीके लगवाने से पशुओं का दूध कम हो जाता है। लेकिन ये पशुपालकों की धारणा गलत है। वायरस के कारण पशु मुंहखुर का शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी की वजह से पशुओं के गले में सूजन भी होता है और समय पर उपचार नहीं किया जाए तो पशु की मौत भी हो जाती है। पशुओं को रोगों से बचाने के लिए टीके अवश्य लगवाने चाहिए। इससे पशु का स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
मुंहखुर व गलघोंटू जानलेवा बीमारी है। इससे बचाने के लिए विभाग के वेटनरी सर्जन घर- घर जाकर पशुओं को टीके लगाते है। ताकि पशुओं को बीमारी से बचाया जा सके। सभी को टीका लगवाना चाहिए। 20 टीमों ने इस वर्ष टीकाकरण किया है। वेटनेरी सर्जन प्रमुख होता है।
मंगल सिंह, पशुपालन उपनिदेशक