Unique Ramlila: हरियाणा में यहां रामलीला की अनूठी परंपरा, रक्षा सूत्र बांध कलाकार मंचन से पहले लेते ये वचन
कैथल में रामलीला मंचन की अनूठी परंपरा है। चंदाना गेट स्थित श्री ग्यारह रूद्री शिव मंदिर में श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब के सदस्य रक्षा सूत्र बांधकर नियमों का निर्वहन करते हैं। वर्ष 1970 में पांच दोस्तों ने मिल की थी क्लब की शुरुआत।
कैथल, [कमल बहल]। कैथल के चंदाना गेट स्थित श्री ग्यारह रूद्री शिव मंदिर में श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब द्वारा किए जाने वाले रामलीला मंचन में कलाकार मंचन में अनूठी परंपरा निभा रहे हैं। इस परंपरा के तहत कलाकार मंचन के दस दिनों तक रक्षा सूत्र बांध घर-बार का मोह त्याग कर मंचन करते हैं। यहीं नहीं, इस मंचन के दौरान अधिकतर कलाकार पहले दिन से ही मंच को अपना घर बना लेते हैं। जिसके तहत सुबह के समय अपने-अपने किरदारों की रिहर्सल करते हैं और शाम के समय मंच पर किरदार का मंचन करते हैं। वे रामलीला मंचन के पूरे दस दिनों तक ऐसी ही परंपरा का लगातार निर्वहन करते हैं। इस परंपरा को निभाने के लिए कलाकारों द्वारा बकायदा एक रक्षा सूत्र बांधा जाता है। जिसे वह दशहरा पर्व के दिन खोलते हैं।
हवन से की जाती है मंचन की शरुआत
श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब के निर्देशक धर्मवीर असीजा ने बताया कि उनके क्लब की यह विशेष परंपरा रही है कि वे रामलीला का मंचन शुरू करने से पहले हवन करते हैं। जिसमें क्लब के सभी सदस्य आहूति डालते हैं। उन्होंने बताया कि इस हवन के दौरान वह भगवान हनुमान के मंदिर में जाकर रक्षा सूत्र बांध दस दिनों तक अपने घर बार का मोह त्यागने का संकल्प लेते हैं।
ऐसा करने के पीछे उनकी आस्था है, ताकि उनके द्वारा लगातार दस दिनों तक की जाने वाली रामलीला मंचन में स्वच्छ छवि से मंचन कर सकें। ऐसा करने में उनकी यह सोच भी है कि कलाकार रामलीला में अपने किरदार को बखूबी निभा सकते हैं। इसके साथ राम के जीवन से जुड़े चरित्रों का असर उनकी वास्तविक जिंदगी में पड़ता है। असीजा ने बताया कि रामलीला के अंतिम दिन राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान सहित गुरु वशिष्ठ का किरदार निभाने वाले कलाकार मंदिर में जाकर अपने प्रण तोड़ते हैं। उन्होंने बताया कि रक्षा सूत्र को दशहरा के दिन राजा राम के राज तिलक के बाद भगवान श्री राम चंद्र के चित्र के आगे समर्पित कर देते हैं।
यह है क्लब का इतिहास
बता दें कि शहर में करीब 80 सालों से कुरुक्षेत्र गोशाला परिसर में श्री राधा कृष्ण शिव गंगा ड्रामाटिक क्लब द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है। इस क्लब द्वारा मंचन लगातार नहीं होता है। इस क्लब द्वारा इस वर्ष करीब चार वर्ष के अंतराल बाद ही रामलीला का मंचन किया जा रहा है। श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब के पांच सदस्यों द्वारा इस क्लब से अलग होकर वर्ष 1970 में रामलीला मंचन की शुरुआत की थी। इसमें ज्ञान सिंह, राजेंद्र धीमान, धर्मबीर असीजा, रमेश चंद जांगड़ा शामिल थे। जो उस समय महज 15 से 18 वर्ष की आयु के थे। शुरुआत के दो सालों में यह रामलीला का मंचन नई सब्जी मंडी में किया जाता है। इसके बाद वर्ष 1972 में श्री ग्यारह रूद्री मंदिर में किया जाने लगा। इसके बाद यहां पर रामलीला का मंचन लगातार हो रही है केवल कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष ही रामलीला का मंचन नहीं हो पाया था।
अब तक क्लब ने दिए 150 से अधिक दिए कलाकार
श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब के निर्देशक धर्मवीर असीजा ने बताया कि 50 सालों के मंचन के दौरान अब तक इस क्लब द्वारा कुल 150 कलाकार इस मंच पर मंचन कर चुके हैं। शुरूआत में कलाकारों की काफी कमी रहती थी, लेकिन जैसे ही इस मंचन की लोकप्रियता बढ़ी तो युवाओं में मंचन को काफी उत्साह रहने लगा। असीजा ने बताया कि क्लब के 30 ऐसे कलाकार हैं, जो अपने युवा समय से यहां पर मंचन कर रहे हैं।