कपिलमुनि सरोवर की जलधारा की अनोखी कहानी, हजारों सालों से खाली नहीं हुआ सरोवर

कपिलमुनि सरोवर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह सरोवर अब कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधीन आता है। सरोवर के पुजारी श्याम लाल गौत्तम संजय शास्त्री और कृष्ण गौत्तम ने बताया कि जब से सरोवर बना हुआ है आज तक सरोवर कभी खाली नहीं हुआ है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 02:44 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 02:44 PM (IST)
कपिलमुनि सरोवर की जलधारा की अनोखी कहानी, हजारों सालों से खाली नहीं हुआ सरोवर
सरोवर पर कपिलमुनि ऋषि ने अपनी माता देवहूति को करवाया था सांख्यदर्शन का ज्ञान।

कैथल, जागरण संवाददाता जिले का इतिहास महाभारत और रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कैथल में कई ऐसे तीर्थ हैं जो हमारे इतिहास की जानकारी देते हैं। कलायत में कपिलमुनि सरोवर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह सरोवर अब कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधीन आता है। सरोवर के पुजारी श्याम लाल गौत्तम, संजय शास्त्री और कृष्ण गौत्तम ने बताया कि जब से सरोवर बना हुआ है आज तक सरोवर कभी खाली नहीं हुआ है। सरोवर के अंदर से जलधारा निकलती है जो इसे खाली नहीं होने देती। साल 2005 में एक बार इस सरोवर का पानी निकालने का प्रयास किया गया था, लेकिन जैसे-जैसे पानी निकालते गए वैसे ही पानी दोबारा भरता गया। सरोवर का इतिहास सरस्वती नदी से जुड़ा हुआ है और कपिलमुनि सरोवर को सरस्वती नदी का हिस्सा माना जाता है।

कपिलमुनि ऋषि की प्रतिमा

महाभागवत पुराण में है उल्लेख

कपिलमुनि तीर्थ का उल्लेख महाभागवत पुराण में है। कपिलमुनि को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना गया है। उनके पिता करदम ऋषि और माता देवहूति थी। उन्होंने अपनी माता को सरोवर तट पर ही सांख्यदर्शन का ज्ञान दिया था। सरोवर के तट पर ही कपिलमुनि ने तपस्या की थी। पहले कलायत को कपिलायत बोला था, लेकिन धीरे-धीरे अब कलायत नाम हो गया। हर महीने की पूर्णिमा पर यहां मेला लगता है। बता दें कि 2006 में तीर्थ पर राष्ट्रीय सरस्वती अनुसंधान के वैज्ञानिक आए थे। उन्होंने माना था सरोवर में जलधारा अपने आप फूट जाती है। साल 2005 में तीर्थ के कायाकल्प पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।

 

कपिलमुनि ऋषि अपनी माता देवहूति को सांख्यदर्शन का ज्ञान देते हुए 

यह जुड़ी हुई है कहानी 

पुजारी श्याम लाल गौत्तम ने बताया कि सरोवर को लेकर राजा शालीवान की कहानी जुड़ी हुई है। शालीवान छठी शताब्दी में राजा हुए करते थे। राजा को श्राप मिला हुआ था कि रात को उनका शरीर पत्थर का हो जाता था। एक बार वे शिकार करते हुए कपिलमुनि सरोवर के पास चले आए। उनका एक तीर सरोवर में जा गिरा। तीर निकालते हुए उनके एक हाथ पर सरोवर की मिट्टी लग गई। उस दिन जब वे घर गए और रात को सोए तो एक हाथ को छोड़कर सारा शरीर पत्थर हो गया था। रानी ने यह देखा तो सुबह राजा से पूछा कि कल कहां पर गए थे। राजा ने सरोवर के बारे में बताया तो रानी ने राजा को सरोवर में स्नान करने के लिए कहा था। सरोवर में स्नान करने से उन्हें श्राप से मुक्ति मिल गई थी। उसके बाद राजा ने तीर्थ पर चार शिवालयों का निर्माण करवाया था, जिनमें से दो अब अस्तित्व खो चुके हैं।

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