जांच में उलझा मामला, किसी ने पैदा किया, किसी ने पाला, अब मासूम का कौन रखवाला ?
किसी ने पैदा किया किसी ने पाला ऐसा काफी कम ही सुनने को मिलता है। लेकिन अब वह मासूम किसके पास रहेगा इस जांच में करनाल पुलिस उलझ गई। करनाल की महिला का बच्चा अब मेरठ के दंपती के पास। दोनों पक्ष जता रहे नौ माह के बच्चे पर हक।
करनाल, जेेेेेेएनएन। किसी ने जन्म दिया और किसी ने पाला। ये तो अक्सर सुनने को मिल जाता हैै, लेकिन अब उसे रखेगा कौन? इस बात को लेकर करनाल पुलिस उलझ गई है। करनाल के बच्चे की दास्तान यही हकीकत बयां कर रही है। बच्चे को जन्म देने वाली महिला का आरोप है कि उपचार का झांसा देकर उत्तर प्रदेश के मेरठ के चिकित्सक दंपती उसका चार दिन का बच्चा ले गए। अब उसे लौटा नहीं रहे। जबकि बच्चे को अब मेरठ निवासी दंपती पाल रहे हैं।
उनका कहना है कि नवजात की नौ माह से परवरिश की है। अब उसे कैसे दे दें। इधर, कुंजपुरा थाने में आरोपित चिकित्सक और उनकी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया। पुलिस ने महिला को भी बुलाकर बयान दर्ज किए हैं। पुलिस ने बताया कि महिला से जानकारी ली जा रही है। जल्द ही चिकित्सक दंपती को भी बुलाया जाएगा। मामले की जांच की जा रही है।
पीडि़त महिला ने एसपी कार्यालय में शिकायत दी थी। मूल रूप से छपरा बिहार की रहने वाली महिला ने आरोप लगाते हुए बताया कि कुंजपुरा वासी सहेली का मेरठ के एक चिकित्सक के पास उपचार चल रहा था। सहेली के साथ आने-जाने के कारण उसका भी चिकित्सक दंपती से परिचय हो गया। तब वह गर्भवती थी। उसके शरीर में दर्द हुआ तो चिकित्सक ने दवाई दी।
महिला के अनुसार सितंबर 2020 में कल्पना चावला राजकीय अस्पताल में उसने बेटे को जन्म दिया। इस दौरान चिकित्सक दंपती उससे मिलने करनाल आए। उन्होंने कहा कि बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही है। वे उपचार करके लौटा देगें। उससे कोरे कागजों पर दस्तखत करा लिए। कुछ दिन बाद बच्चा वापस मांगा तो चिकित्सक दंपती ने कहा कि उन्होंने बच्चा गोद ले लिया है। महिला का आरोप है कि उसके दस्तखतशुदा कागजों पर मर्जी के मुताबिक गोदनामा लिखवा कर धोखाधड़ी की गई है। बच्चा करीब नौ माह का हो चुका है।
वहीं कुंजपुरा थाना एसएचओ मुनीष कुमार का कहना है कि चिकित्सक दंपती के खिलाफ केस दर्ज कर जांच की जा रही है।
आरोप बेबुनियाद, खुद गोद देकर गई बच्चा : निकिता
आरोपों से घिरे चिकित्सक डीपी श्रीवास्तव की बेटी निकिता ने बताया कि शास्त्रीनगर निवासी विशाल श्रीवास्तव और उनकी पत्नी नेहा पापा-मम्मी के पास आते थे। 21 साल तक औलाद नहीं होने के कारण दंपती बच्चा गोद लेना चाहता था। एक किन्नर ने उनकी मुलाकात एक युवती से कराई थी। वही करनाल के कुंजपुरा निवासी महिला को उपचार के लिए उनके क्लीनिक लाई थी। युवती ने कहा था कि महिला के दो बच्चे हैं। गर्भ में पल रहे तीसरे बच्चे को वह गोद देना चाहती है। दंपती को करनाल की महिला से मिलवा दिया। महिला ने शर्त रखी कि गर्भावस्था से डिलीवरी तक पूरा खर्च उठाना पड़ेगा, तभी बच्चा गोद दिया जाएगा। विशाल ने पूरा खर्च उठाया। महिला चार दिन के बच्चे को लेकर मेरठ आ गई थी। शपथ-पत्र में भी महिला ने अपनी मर्जी से बच्चा गोद देने की बात कही है। विशाल और उनकी पत्नी नेहा का कहना है कि बच्चे को पालकर नौ माह का किया है। इसे किसी कीमत पर नहीं देंगे।
क्या हैं नियम
कोई भी बच्चे को सीधे उसकी मां से गोद नहीं ले सकता। इसकी पूरी नियमावली है। बच्चा गोद लेने के लिए सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। मान्यता प्राप्त संस्थाएं बच्चा आने के बाद कारा की वेबसाइट पर जानकारी अपलोड करती हैं। आवेदक से संपर्क किया जाता है और नियमानुसार बच्चा गोद दिया जाता है। दंपती को बच्चे की फोटो भेजी जाती है। कारा की टीम बच्चा गोद देने वाले परिवार की पड़ताल करती है। इसमें तीन माह या ज्यादा समय लग सकता है।