सरस्‍वती नदी किनारे मिली सिक्‍कों से भरी दो हांडियां, पुरातत्‍व की टीम पहुंची

हरियाणा के यमुनानगर में सरस्‍वती नदी किनारे सिक्‍कों से भरी दो हांडियां मिली हैं। सिक्‍के मिलने की सूचना पुरातत्‍व विभाग की टीम को मिली। पुरातत्व विभाग की टीम जांच के लिए पहुंची संधाय। ग्रामीण ने खोदाई में मिला सामान सौंपा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 10:59 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 10:59 AM (IST)
सरस्‍वती नदी किनारे मिली सिक्‍कों से भरी दो हांडियां, पुरातत्‍व की टीम पहुंची
हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच।

बिलासपुर (यमुनानगर), संवाद सहयोगी। गांव संधाय में सरस्वती नदी के किनारे सिक्के से भरी दो छोटी हांडियां निकलने की सूचना पर हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच, पुरातत्व विभाग की उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य टीम के साथ मौके पर पहुंची। खोदाई के दौरान 80 सिक्के और प्राचीन सभ्यता के मिट्टी के बर्तन मिले हैं। इन्हें तीन हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जा रहा है। दस दिनों के भीतर दो स्थानों से प्राचीन सिक्के और बर्तन मिल चुके हैं। सूचना पर धूमन सिंह किरमिच पुरातत्व विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जांच के दौरान टीम को प्राचीन मूर्तियां व सिक्के मिले।

नदी के लिए निशुल्क जमीन देंगे

बलविंद्र कुमार ने बताया कि गांव संधाय के समीप से प्राचीन सरस्वती की धारा प्रवाहित होती थी। सरकार द्वारा सरस्वती को धरा पर लाने का प्रयास सराहनीय है। सरस्वती के लिए नक्शे के अनुसार अगर उनकी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो वह निशुल्क सरस्वती की धारा के लिए भूमि देने के लिए तैयार है। इसके लिए वह सरकार से किसी प्रकार का कोई आर्थिक शु्ल्क नहीं लेंगे।

गुर्जर प्रतिहार से भी हो सकता हैं संबंध

बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह ने कहा कि संधाय में सिक्कों व प्राचीन सामान मिला है। यहां पर पुरातत्व विभाग आगे भी जांच करेगा। सरस्वती नदी हरियाणा की प्राचीन नदी है। इसके किनारों पर पहले आबादी थी। इस नदी से लोगों को पीने का पानी मिलता था। ग्रंथों में सरस्वती नदीं को सभ्यता, शिक्षा व संस्कारों की जननी कहा जाता है। पुरातत्व विभाग की उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य की टीम ने बताया कि प्राचीन सामानों की सफाई करके जांच करने के बाद ही पता चलेगा कि वह किस काल के हैं। सिक्कों को देखने से पता चलता है कि सिक्के तीन हजार वर्ष से भी पुराने हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि गांव से मिले प्राचीन सामानों का संबंध गुर्जर प्रतिहार से भी हो सकता है। फिर भी विभाग इसकी जांच करेगा।

यहां का दौरा किया

बोर्ड के उपाध्यक्ष ने तालाब का भी दौरा किया। अधिकारियों से तालाब की साफ सफाई कराने के निर्देश दिए। इस दौरान सिंचाई विभाग के एक्सईएन नितिन बट्ट, एसडीओ रविंद्र, एसडीओ दीपक, जेई रविंदर प्रताप समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

क्षेत्र का विकास होगा : धुम्मन सिंह

सरस्वती हेरिटेज बोर्ड का गठन सरस्वती की धारा को दोबारा धरती पर लाने के लिए किया गया है। इसको लेकर बोर्ड कार्य कर रहा है। सरस्वती नदी के किनारे आदिबद्री से लेकर राजस्थान की सीमा तक दर्जनों प्राचीन साइट हैं, जिनमें भगवानपुरा, पिहोवा, कपिल मुनी मंदिर कैथल, राखीगढ़ी, बनावाली प्राचीन साइट शामिल है। सरस्वती की धारा के लिए कुछ गांवों में भूमि नहीं मिल रही थी, लेकिन वह साइट क्लीयर हो चुकी है। नदी प्रवाहित होने पर यहां का विकास होगा।

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