अंग्रेजों के जमाने की हैं अंबाला की ये धरोहरें, अब गिरने की हालत में

क्रिश्चियन ग्रेवयार्ड उत्तर भारत का सबसे बड़ा ग्रेवयार्ड है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय राज्य मंत्री कुमारी सैलजा ने इसके लिए बजट तो मंजूर कराया लेकिन यह रिलीज ही नहीं हो पाया। ये दोनों साइटें आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की लिस्ट में भी शामिल हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 02:58 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 02:58 PM (IST)
अंग्रेजों के जमाने की हैं अंबाला की ये धरोहरें, अब गिरने की हालत में
कोस मीनार को सहेजा, लेकिन सेंट पॉल चर्चा और क्रिश्चियन ग्रेवयार्ड की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। अंबाला की धरोहरों को बचाने में न तो कोई  प्लान है और न ही इसके लिए बजट जारी किया जा रहा है। यह जहां अंबाला के इतिहास को बता रही हैं, वहीं इसका रखरखाव तक जरूरी है। धरोहरों को बचाने के लिए संस्था इंटेक काम कर रही है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अंबाला शहर की कपड़ा मार्केट में कोस मीनार को सहेज लिया गया है। लेकिन सेंट पॉल चर्चा और क्रिश्चियन ग्रेवयार्ड की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दावा है कि यह ग्रेवयार्ड उत्तर भारत का सबसे बड़ा ग्रेवयार्ड है। वहीं, सेंट पॉल चर्च भी अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय राज्य मंत्री कुमारी सैलजा ने इसके लिए बजट तो मंजूर कराया, लेकिन यह रिलीज ही नहीं हो पाया। ये दोनों साइटें आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की लिस्ट में शामिल हैं। 

यह है दोनों धरोहरों का इतिहास 

अंबाला-जगाधरी हाईवे पर स्थित क्रिश्चियन ग्रेवयार्ड सन 1844 में बनाया गया था। दावा है कि इस कब्रिस्तान में लाखों की संख्या में कब्रें हैं। इस ग्रेवयार्ड में वार ऑफ बायर के गुलाम भी दफन है। यह युद्ध ब्रिटिश और अफ्रीकी देशों के बीच हुआ था। इनके गुलामों को अंबाला लाया गया था, जिन्हें मौत के बाद इसी ग्रेवयार्ड में दफन किया गया। स्थिति यह है कि यह ग्रेवयार्ड पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। यहां पर कब्रें तक उखाड़ ली गई हैं, जबकि कीमती पत्थर तक चोरी हो चुका है। 

दूसरी ओर सेंट पॉल चर्च भी अंग्रेजों ने अंबाला कैंट को अपनी छावनी बनाने के दौरान बनाया था। यह चर्च काफी प्रसिद्ध था और अंबाला शहर तक प्रेयर से पहले यहां बेल बजती सुनाई देती थी। भारत-पाक के बीच 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के लड़ाकू जहाजों द्वारा एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया था। लेकिन एक बम इस चर्च पर गिरा दिया गया। यह आज भी जर्जर हालत में खड़ा है। 

धरोहर बचाने में जुटे हैं : आरडी सिंह 

इंटेक चैप्टर के अंबाला कन्वीनर रिटायर्ड कर्नल आरडी सिंह का कहना है कि धरोहरों को बचाने के लिए संस्था काम कर रही है। ग्रेवयार्ड व चर्च के लिए बजट मंजूर हुआ था, लेकिन रिलीज नहीं हुआ।

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