सिविल अस्पताल में फिजिशियन के बिना कोरोना संक्रमितों का इलाज

जिले में कोरोना का पहला मरीज 19 मार्च 2020 को आया था। संक्रमितों की संख्या अब तक लगभग साढ़े चौदह हजार तक पहुंच गई है। लगभग दो हजार मरीज एक्टिव भी है। हैरत की बात यह कि करीब 14 लाख की आबादी पर बने सिविल अस्पताल सब डिविजनल अस्पताल समालखा और सीएचसी-पीएचसी में फिजिशियन डाक्टर नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 06:19 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 06:19 AM (IST)
सिविल अस्पताल में फिजिशियन के बिना कोरोना संक्रमितों का इलाज
सिविल अस्पताल में फिजिशियन के बिना कोरोना संक्रमितों का इलाज

जागरण संवाददाता, पानीपत : जिले में कोरोना का पहला मरीज 19 मार्च 2020 को आया था। संक्रमितों की संख्या अब तक लगभग साढ़े चौदह हजार तक पहुंच गई है। लगभग दो हजार मरीज एक्टिव भी है। हैरत की बात यह कि करीब 14 लाख की आबादी पर बने सिविल अस्पताल, सब डिविजनल अस्पताल समालखा और सीएचसी-पीएचसी में फिजिशियन डाक्टर नहीं है।

यूं कहना ठीक होगा कि तीन साल से जिले में सरकारी फिजिशियन नहीं है। सिविल अस्पताल 200 बेड का है, मानक के अनुसार 82 डाक्टर चाहिए, मात्र 28 हैं। रेगुलर स्टाफ नर्स होनी चाहिए, 36 हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 30 गार्ड चाहिए, मात्र 15 हैं। आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संक्रमितों के इलाज का जिम्मा एनेस्थेटिस्ट डा. विरेंद्र ढांडा, नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. केतन भारद्वाज के जिम्मे है। ये दोनों डाक्टर वैक्सीनेशन केंद्र में टीका के बाद प्रतिकूल केसों को भी संभाल रहे हैं। नतीजा, दोनों चिकित्सकों की भागदौड़ बढ़ गई है, 24 घंटे आन कॉल भी रहते हैं। फिजिशियन नहीं होने के चलते कोरोना संक्रमितों को खानपुर रेफर करना पड़ता है। सिविल अस्पताल में वेंटीलेटर संख्या नौ है, लेकिन चलाने के लिए स्टाफ को पर्याप्त ट्रेंनिग नहीं दी गई है। चिकित्सक जैसे-तैसे स्टाफ से काम करा रहे हैं। लैब में भी मैन पावर बहुत कम :

सिविल अस्पताल में रूटीन टेस्ट की संख्या 1000 के पार कर जाती है। 600 से 800 कोरोना आशंकितों की टेस्टिग होती है। स्थायी लैब टैक्नीशियन के 14 पद हैं, इनमें से 10 रिक्त हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भर्ती चार-पांच टैक्निशियन, सक्षम युवा और आइटीआइ के विद्यार्थियों से काम लिया जा रहा है। नतीजा, मरीजों को रिपोर्ट मिलने में देरी होती है। स्वाब सैंपल के लिए डबल विडो नहीं खोली जा सकी है। रनिग में नहीं आइसीयू :

सिविल अस्पताल में आठ बेड की स्थायी आइसीयू (गहन चिकित्सा यूनिट) बनकर तैयार है। इसके लिए भी अलग से मैन पावर मिलनी थी, नहीं मिली है। नतीजा, गंभीर मरीजों को आइसीयू में भर्ती न कर, खानपुर रेफर किया जा रहा है। दो बेड की हाई डिपेंडेंसी यूनिट रनिग में है। डेप्यूटेशन में लेंगे फिजिशियन :

सिविल सर्जन डा. संजीव ग्रोवर ने कहा कि अस्पताल में फिजिशियन होना जरूरी है। किसी दूसरे जिले से डेप्यूटेशन पर फिजिशियन लिया जाएगा। मैन पावर मिलते ही आइसीयू रनिग में आ जाएगी। चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ कमी की रिपोर्ट समय-समय पर उच्चाधिकारियों को भेजी जाती रही है।

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