लॉकडाउन और कोरोना का असर, पानीपत में टमाटर उत्‍पादक किसानों को उठाना पड़ रहा नुकसान

लॉकडाउन और कोरोना महामारी का सबसे ज्‍यादा असर किसानों पर पड़ रहा है। टमाटर किसान उत्‍पादक परेशान हैं। मंडियां कम खुलने के कारण किसानों को टमाटर का नहीं मिल रहा उचित रेट। मंडियों में चार रुपये किलो टमाटर किसान बेचने को मजबूर।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 09:52 AM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 09:52 AM (IST)
लॉकडाउन और कोरोना का असर, पानीपत में टमाटर उत्‍पादक किसानों को उठाना पड़ रहा नुकसान
टमाटर के रेट पर असर पड़ रहा है।

कैथल, जेएनएन। कोरोना महामारी का टमाटर के रेट पर असर पड़ रहा है। एक महीने पहले तक 20 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर चार रुपये में बिक रहा है। इससे टमाटर उत्पादक किसान काफी परेशान हो गए हैं। लॉकडाउन होने से किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर सब्जी मंडी सुबह चार बजे से आठ बजे तक ही खुल रही है। 

मंडी का समय कम होने के कारण टमाटर उत्पादक किसानों को सब्जी औने पौने दामों पर ही बेचनी पड़ रही है। इससे किसानों की लागत भी पूरी नहीं हो रही। टमाटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि 25 किलोग्राम की एक कैरेट 100 रुपये की बिक रही है। पिछले महीने 25 किलो की कैरेट 500 रुपये तक बिकी थी। कोरोना के कारण पिछले साल भी लाखों का नुकसान टमाटर किसान को उठाना पड़ा था। यही हाल इस साल हो गया है। 

सीवन व राजौंद ब्लाक में किसान करते है टमाटर की खेती

कैथल जिले के सीवन व राजौंद ब्लाक में किसान टमाटर की खेती करते है। 400 एकड़ के करीब टमाटर की खेती की जाती है। किसानों का कहना है कि सरकार की भावातंर भरपाई योजना का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अपनी मनमर्जी से मंडी में टमाटर का रेट लगाया जा रहा है। 

लागत भी नहीं हो रही पूरी: किसान सुखदेव

किसान सुखदेव सिंह ने बताया कि एक एकड़ में टमाटर की फसल पकने तक का खर्च देखा जाए तो 80 से 90 हजार रुपये प्रति एकड़ हो जाता है। फसल पकने के बाद प्रति कैरेट पर 30 रुपये तुड़ाई, छटांई के दे दिए जाते है। किसानों ने बताया कि कोरोना से पहले 20 रुपये प्रति किलो टमाटर मिलता था, लेकिन अब चार रुपये किलो बिक रहा है। अब हालात खराब हो गए हैं। सरकार एक तरफ तो सब्जियों को बढ़ावा देने की बात करती है। दूसरी तरफ कोई सब्जी से भी आय नहीं हो रही है।

chat bot
आपका साथी