आपदा के असुर, नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले मुख्य आरोपित के तीन पार्टनर गिरफ्तार

हरियाणा के यमुनानगर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्‍शन बेचने वाले मुख्‍य आरोपित के तीन पार्टनर गिरफ्तार किए गए हैं। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमित मरीज के स्‍वजनों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्‍शन 64 हजार रुपये में बेच दिया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 04:03 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 04:03 PM (IST)
आपदा के असुर, नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले मुख्य आरोपित के तीन पार्टनर गिरफ्तार
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले तीन लोग गिरफ्तार।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमित मरीज के स्वजनों को 64 हजार रुपये लेकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन देने के मामले में तीन और आरोपित पंजाब के मोहाली के बहलोलपुर निवासी शाह आलम, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गांव खाता खेड़ी निवासी मोहम्मद अरशद व मोहम्मद अखलद काे गिरफ्तार किया है। इस मामले में मुख्य आरोपित उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी मोहम्मद शाहवर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। तीनों आरोपित उसके रिश्तेदार और पार्टनर हैं। यही नकली इंजेक्शनों को सप्लाई कराते थे। शहर यमुनानगर थाना प्रभारी सुखबीर सिंह ने बताया कि तीनों आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।

दरअसल, मई 2021 में वरयाम सिंह अस्पताल में 47 वर्षीय कोरोना संक्रमित महिला को दाखिल कराया गया था। उसकी हालत बिगड़ने पर तीमारदारों को डाक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने को कहा था। किसी तरह से स्वजनों ने सनम वोहरा नाम के युवक का पता किया और उससे इंजेक्शन मंगवाए। 32-32 हजार रुपये के दो इंजेक्शन उन्हें मिल गए। जब वह इन इंजेक्शनों को लेकर डाक्टर के पास गए, तो पता लगा कि यह नकली हैं। इसी दौरान महिला मरीज की भी मौत हो गई थी। इस मामले में ड्रग आफिसर प्रवीण चौधरी की शिकायत पर शहर यमुनानगर थाना पुलिस ने केस दर्ज किया था। पुलिस ने सनम वोहरा को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि नकली इंजेक्शन सप्लाई कराने में अस्पताल का कर्मचारी जितेंद्र भी शामिल था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। इसके बाद शादीपुर निवासी गुरमीत सिंह को पकड़ा और फिर अजय को पकड़ा गया। यह सभी इंजेक्शनों की सप्लाई करते थे। पुलिस को गुरमीत सिंह से पूछताछ में पता लगा था कि उसे इंजेक्शन मोहम्मद शाहवर देता था।

मोहम्मद शाहवर ने बना रखी थी फर्म

पुलिस जांच में सामने आया था कि मोहम्मद शाहवर व अजय पहले कालाआंब दवा कंपनी में नौकरी करते थे। वर्ष 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद शाहवर अपनी फर्म बनाकर दवा तैयार करने लगा था। जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तो उसने रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचकर पैसा कमाने की सोची। इसके लिए इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी को भी आर्डर दिया, लेकिन कंपनी ने इंजेक्शन नहीं दिए थे। जबकि मोहम्मद शाहवर ने कई मेडिकल एजेंसियों से रेमडेसिविर इंजेक्शन देने के नाम पर पहले ही रुपये ले लिए थे। जिस पर उसने नकली रेमडेसिविर बेचने की सोची। इसके लिए उसने रेमडेसिविर की शीशी का रेपर प्रिंट कराया। एंटी बायोटिक के 30 हजार इंजेक्शन भी खरीदे, क्योंकि रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशी व एंटी बायोटिक इंजेक्शन की शीशी का एक ही साइज होता है। इसके बाद वह चेन बनाकर इंजेक्शन सप्लाई करने लगा। उसने लंबी चेन बना रखी थी। जिसके माध्यम से वह इंजेक्शन सप्लाई कर रहा था। 50 इंजेक्शन उसने यमुनानगर में बेचे थे।

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