Agriculture News: जींद में किसानों पर हर साल टूटता है कुदरत का कहर, इस बार भी हजारों एकड़ फसल बर्बाद
जींद के किसानों को कुदरत की मार सहन करनी पड़ रही है। जींद के कई गांवों में हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। ऐसा हर साल हो रहा है। अब किसानों की मांग है कि बारिश में खेतों में भरे पानी को निकालने का समाधान हो।
जींद, जागरण संवाददाता। जींद जिले में 22 सितंबर को हुई बारिश से हजारों एकड़ फसल खराब हुई है। बारिश के तीन सप्ताह से ज्यादा समय के बाद भी जुलाना के कई गांवों में सैकड़ों एकड़ फसल से पानी की निकासी नहीं हो पाई है। जिससे रबी सीजन की गेहूं व अन्य फसलों की बिजाई भी नहीं हो पाएगी। ब्राह्मणवास गांव में खेतों में पानी भरकर जींद-रोहतक रोड पर पानी आ गया है। जुलाना क्षेत्र में पौली, बुढ़ाखेड़ा, हथवाला, किलाजफरगढ़, खरैंटी, गढ़वाली, जैजैवंती, गतौली, शामलो कलां, रामकली, निडाना, ढिगाना समेत काफी गांवों में हर साल बरसाती सीजन में जलभराव से होने हजारों एकड़ खराब होती है।
प्रशासन जुलाना में बरसाती पानी की निकासी के लिए ड्रेनों की सफाई, पंप लगाकर व पाइप लाइन दबाकर खेतों से पानी निकालने में हर साल करोड़ों रुपये खर्च करता है। लेकिन फिर भी निकासी का स्थाई समाधान नहीं हो रहा।
25 तक स्पेशल गिरदावरी की देनी है रिपोर्ट
सरकार के आदेश पर प्रशासन द्वारा जलभराव से हुए फसलों में नुकसान की स्पेशल गिरदावरी की जा रही है। 25 अक्टूबर तक गिरदावरी कर रिपोर्ट सरकार को भेजनी है। पहले कपास और मूंग की फसल के ही स्पेशल गिरदावरी के आदेश आए थे। लेकिन बाद में धान, गन्ने, बाजरे व अन्य फसलों को भी स्पेशल गिरदावरी में शामिल करने का फैसला किया गया। प्रशासन के आंकलन के अनुसार जुलाना में करीब साढ़े आठ हजार एकड़ में और नरवाना में लगभग 3800 एकड़ में जलभराव से नुकसान हुआ है। हालांकि किसानों के अनुसार प्रशासन के अनुमान से कहीं ज्यादा एरिया में जलभराव से नुकसान हुआ है।
पौली गांव के किसान दलबीर, कुलबीर, सुंदर सिंह, रामकुमार, आनंद सिंह ने बताया कि गांव में करीब दो हजार एकड़ फसल डूबी हुई है। ड्रेन के ओवरफ्लो होने से हर साल फसल खराब होती है। दूसरे गांवों से आने वाला बरसाती पानी इसका मुख्य कारण है। खरीफ फसल तो खराब हो चुकी है। गेहूं की बिजाई भी नहीं हो पाएगी।