यह मुफलिसी गरीब का किरदार खा गई

हरगोविद झांब कमल ने कहा सुख दुख जीवन में आते जाते कर्म खेल हैं सारे। सुख आता मन हर्षित होता दुख आते मन हारे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 06:59 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 06:59 AM (IST)
यह मुफलिसी गरीब का किरदार खा गई
यह मुफलिसी गरीब का किरदार खा गई

जागरण संवाददाता, पानीपत : अंकन साहित्यिक मंच पानीपत की मासिक काव्य गोष्ठी आर्य पीजी कॉलेज के प्रांगण में हुई। इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता शायर सुभाष शर्मा ने की। मुख्य अतिथि पानीपत के वरिष्ठ व सुप्रसिद्ध कवि हरगोविद झांब कमल रहे। विशिष्ट अतिथि सुभाष भाटिया रहे। मंच का संचालन कमलेश पालीवाल ने किया।

सिराज पैकर ने कहा, बच्चों की भूख बाप की दस्तार खा गई। यह मुफलिसी गरीब का किरदार खा गई।

हरगोविद झांब कमल ने कहा, सुख दुख जीवन में आते जाते कर्म खेल हैं सारे। सुख आता मन हर्षित होता दुख आते मन हारे।

केसर कमल शर्मा ने कहा, महंगाई बढ़ती ही जाए आसमान छूती ही जाए, पेट्रोल डीजल आग लगाए, इसको कौन बुझाए।

शौकीन पानीपती ने कहा, देश में कैसी हालत का मजमून है, इसमें स्याही नहीं खून ही खून है। भीड़ जाने किसको कहां मार दे, मुल्क में आज ठेंगे पर कानून है।

इकबाल पानीपती ने कहा, बहती है जहां गंगा ओ जमन ये वो जमीं है, जन्नत जो है दुनिया में कहीं पर तो यहीं है।

सुभाष भाटिया ने कहा, लहरों पर इतराने वाले बुलबुले कब रुके हैं, अक्ल के दुश्मन, अक्ल वालों के सामने कब झुके हैं।

सुलेख जैन ने कहा, सीता जैसी अग्नि परीक्षा, जग में अब तक जारी है, कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम नारी है।

गुलशन देहलवी ने कहा, दिलनशीन कोई नहीं जात तेरी जात के बाद, हम किसी के ना रहे तुझ से मुलाकात के बाद।

फराज बिजनौरी ने कहा, हिज्र की शाम का मंजर जो याद आया हमें, इतना रोए आज फिर आंखों में छाले पड़ गए।

सोनिया अक्स ने कहा, घर-घर का टूटा हुआ दर देख रही हूं, उजड़ा हुआ पुरखों का नगर देख रही हूं।

मोनिका कटारिया मीनू ने कहा, श्रीराम विराजेंगे, मंदिर का निर्माण होगा। तेरा राम मेरा राम सबका राम होगा।

रमेशचंद्र पुहाल ने कहा, अभी कुछ देर पहले कौन था जो रो रहा था, जमीन पर बूंद जैसी रोशनी को बो रहा था। रवींद्र सरपंच ने कहा, जो ना काट सके ना तोड़ सके, ऐसी मिसाल बनूंगा। जो जोड़ सके और नफरतें तोड़ सके ऐसी मिसाल बनूंगा।

इसके अतिरिक्त कमलनयन वर्मा, चंद्रशेखर आजाद, मुस्कान ठाकुर, महावीर गोयल और प्रदीप ने रचनाएं सुनाई।

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