ये हैं हरियाणा के छोटे कद वाले भालामैन, पहले लोग हंसते थे, अब टोक्यो पैरा ओलंपिक में दुनिया देखेगी दम

ये हैं हरियाणा के बुआना लाखू गांव के नवदीप। कमजोर पैरों के कारण लोग उन पर हंसते थे लेकिन उन्होंने खुद को इतना काबिल बनाया कि आज उनके साथी उनके साथ खेलने में गर्व महसूस करते हैं ।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 05 Jul 2021 05:21 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 08:10 AM (IST)
ये हैं हरियाणा के छोटे कद वाले भालामैन, पहले लोग हंसते थे, अब टोक्यो पैरा ओलंपिक में दुनिया देखेगी दम
जैवलीन थ्रो का अभ्यास करते नवदीप। जागरण

विजय गाहल्याण, पानीपत। यहां के नजदीकी बुआना लाखू गांव के 20 वर्षीय नवदीप की लंबाई महज चार फीट है, लेकिन वह अपनी काबिलियत से ऊंचे हो गए हैं। बचपन में कमजोर पैरों की वजह से लड़खड़ा कर गिर जाते थे। दोस्त साथ में खेलने भी नहीं देते थे। पहलवान पिता दलबीर सिंह ने बेटे की पीड़ा को समझा और कुश्ती का अभ्यास कराया।

नवदीप ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और पैरा नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक जीते। तंज कसने वाले दोस्त अब उनके साथ खेलने में गर्व महसूस करने लगे। 2012 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी सम्मानित किया। कमर में दर्द हुआ तो कुश्ती छोड़ जैवलिन का अभ्यास शुरू किया और वे अब टोक्यो पैरोलांपिक में एफ-41 श्रेणी में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

संदीप को थ्रो करते देख जैवलिन खेल चुना, पिता ने दिलाई 60 हजार की जैवलिन

साई सेंटर बहालगढ़ में ओलंपिक की तैयारी में जुटे अंडर-20 पैरा के विश्व के तीन रैंकिंग के जैवलिन थ्रोअर बीए फाइनल ईयर के छात्र नवदीप ने बताया कि कमजोर पैरों की वजह से बचपन में दौड़ नहीं पाता था। दोस्तों के साथ खेल नहीं पाता था। कुश्ती से हाथ व पांव मजबूत हुए। 2013 में कमर दर्द की वह से कुश्ती छूट गई। जीवन नीरस हो गया। 100-200 मीटर दौड़ना शुरू किया। 2017 में बेंगलुरु में संदीप नामक एथलीट जैवलिन थ्रो कर रहे थे। उन्हें देख इस खेल को अपना लिया। पिता ने 60 हजार रुपये की जैवलिन दिलाई और दिल्ली के जवाहर लाल स्टेडियम में कोच नवल के पास अभ्यास किया और पदक जीते।

वर्ष 2012 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नवदीप को सम्मानित करते हुए। फाइल फोटो

ओलंपिक में पदक जीतना लक्ष्य

नवदीप ने बताया कि जब-जब उसका आत्मविश्वास डगमगाया तब-तब पिता दलबीर और मां मुकेश रानी ने हौसला बढ़ाया। इसी वहज से सफलता भी मिली। उन्होंने बताया कि हर रोज सुबह व शाम चार-चार घंटे अभ्यास कर रहा है। तकनीक में सुधार करने के साथ-साथ विदेश थ्रोअर की वीडियो भी देखता हूं। उसका 43.78 मीटर बेस्ट थ्रो है। ओलंपिक में पदक जीतने का लक्ष्य कठिन है, लेकिन असंभव नहीं है।

नवदीप की सफलता जूनियर व अंडर-20 पैरा नेशनल चैंपियनशिप में चार स्वर्ण पदक। 5 अगस्त 2019 में स्विटजरलैंड में हुई पैरा विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। नवंबर 2010 में दुई में हुई विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

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