छठ से कम नहीं है हमारे लिए लोकतंत्र का यह महापर्व

नई सरकार के गठन के लिए सुबह से ही मतदाताओं का बूथों तक पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। विकास नगर एनएफएल व जाटल रोड नवयुग स्कूल जैसे मतदान केंद्रों पर अन्य जगहों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ थी। पूछताछ पर पता चला कि इन बूथों पर मूलरूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के ज्यादा वोट हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 09:13 AM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 09:13 AM (IST)
छठ से कम नहीं है हमारे लिए लोकतंत्र का यह महापर्व
छठ से कम नहीं है हमारे लिए लोकतंत्र का यह महापर्व

रवि प्रकाश तिवारी, पानीपत

नई सरकार के गठन के लिए सुबह से ही मतदाताओं का बूथों तक पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। विकास नगर, एनएफएल व जाटल रोड नवयुग स्कूल जैसे मतदान केंद्रों पर अन्य जगहों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ थी। पूछताछ पर पता चला कि इन बूथों पर मूलरूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के ज्यादा वोट हैं। सुबह-सुबह ही कतार में लगे मतदाताओं ने बातचीत में कहा कि हम अपने मताधिकार से चूकना नहीं चाहते। रोजी-रोटी की तलाश में आए हैं, अपनी हर भूमिका ठीक से निभाते हैं। यहीं से हमारा परिवार चलता है इसलिए यहां हमारी समझ से क्या बेहतर होगा, यह सोच-समझकर वोट करते हैं। आप ऐसे समझ लीजिए कि हमारे लिए छठ से बड़ा कोई पर्व नहीं, लेकिन लोकतंत्र का पर्व भी उससे कमतर नहीं। छठ हमारी धार्मिक आस्था है तो मतदान लोकतांत्रिक व्यवस्था।

एनएफएल कैंपस के स्कूल में बने बूथ से वोट देकर लौट रहे सुमन झा और पीएन सिंह ने कहा, यह हमारी भले ही जन्मभूमि नहीं, कर्मभूमि तो है। हमारा भला-बुरा यहीं से होना है। ऐसे में आज अपने लिए जब हमें व्यवस्था चुनने का मौका मिला है तो आखिर हम क्यों छोड़ें? इसी तरह मूल रूप से बनारस के रामदत्त दुबे, बिहार-समस्तीपुर के हरिद्वार गुप्ता ने कहा, लोकसभा हो या विधानसभा हम अपना वोट जरूर डालते हैं। हमने पहले ही चेक कर लिया था कि हमारी और हमारे जानकारों की वोट ठीक हो। जहां कोई कमी थी, उसे दुरुस्त करा लिया। रेणु देवी, रिकू झा ने कहा कि सुबह घर का काम निपटाकर वोट देने पहुंची हैं। अब जाकर बाकी काम होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम छठ पूजा के लिए छठ घाट और सूर्य मंदिर की मांग लंबे अरसे से करते आ रहे हैं, लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता है। अगली सरकार हमारी यह मांग पूरी करे, उनसे हमारी यही उम्मीद है।

विकास नगर में भी शाम तक मतदाताओं का आना-जाना लगा रहा। यहां भी ये प्रभावी स्थिति में है। इसी तरह जाटल रोड के निकट नवयुग पब्लिक स्कूल पर बने बूथ पर भी मतदाताओं के बीच पूर्वांचल के वोटर्स की संख्या ज्यादा दिखी। यहां मिले सुशील ठाकुर (समस्तीपुर, बिहार) ने कहा, लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर शासन का ध्यान अपनी ओर भी आकृष्ट कराना चाहते हैं कि विकास में हमें भागीदार रखा जाए। हमारी जरूरतों, सम्मान का भी ख्याल हो। यहीं पर मिले उपेंद्र पांडेय और मनोज ठाकुर ने मतदान में हिस्सेदारी को अपनी जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा, हमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की है, अब हमारा जनप्रतिनिधि और शासन अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें। बॉक्स

हमारे वोट से विधायक चुने जाते हैं, हमारा काम भी तो कराएं

यहां के उद्योगों में बड़ी संख्या में पूर्वी उप्र-बिहार के लोग काम करते हैं। एक साथ ग्रुप में वोट डालने पहुंचे युवाओं से जब पूछा कि वे एकजुट होकर क्या ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं तो वे बोले, अगर हमारी ताकत है तो हम उसे क्यों न दिखाएं? बता दें कि पानीपत के शहरी और ग्रामीण विस क्षेत्र में पूर्वांचल-बिहार के लोगों की संख्या निर्णायक भी बन सकती है। एक आकलन के मुताबिक शहरी क्षेत्र में लगभग 28 हजार के आसपास तो ग्रामीण सीट पर 32 से 35 हजार तक मतदाता पूर्वांचल-बिहार के हैं। पूर्वांचल समाज के लोगों ने मतदान केंद्र पर एक बार फिर दोहराया कि उन्हें असुरक्षा का भाव घेरे रहता है, सरकार उसे सुनिश्चित करे कि उनके साथ कभी दोयम दर्जे का व्यवहार न हो। पूर्वांचल के लोगों के भी बीपीएल कार्ड बनाए जाएं। पूर्वांचल भवन के लिए सरकार निश्शुल्क भूमि और भवन बनाने के लिए धनराशि मुहैया कराए। बता दें कि पानीपत के साथ ही फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल व अंबाला जैसे जिलों में भी इनकी ठीक-ठाक उपस्थिति है। -------

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