शातिर बदमाश ने पिता के कैंसर के इलाज को मांगी पैरोल, रच रखी थी ये साजिश Panipat News

एक शातिर बदमाश ने पिता के कैंसर के इलाज को पैरोल मांगी। जब जेल प्रशासन ने जांच करवाया तो पिता ठीक ठाक निकला। कैदी उसके पिता सहित चार लोगों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 11 Sep 2019 08:56 AM (IST) Updated:Wed, 11 Sep 2019 02:06 PM (IST)
शातिर बदमाश ने पिता के कैंसर के इलाज को मांगी पैरोल, रच रखी थी ये साजिश Panipat News
शातिर बदमाश ने पिता के कैंसर के इलाज को मांगी पैरोल, रच रखी थी ये साजिश Panipat News

पानीपत/जींद, जेएनएन। हत्या, हत्या के प्रयास में उम्रकैद की सजा काट रहे शातिर बदमाश गांव चाबरी निवासी विकास उर्फ बिल्लू ने हाईकोर्ट में पिता को कैंसर होने के फर्जी कागजात पेश करके पैरोल लेने के प्रयास का मामला सामने आया है। इस फर्जीवाड़े में कैदी के साथ उसका पिता रघबीर सिंह व उसके चचेरे भाई जवाहर नगर हिसार निवासी नकुल व कैंसर पीडि़त गांव बुआना निवासी वजीर भी शामिल है। 

जेल प्रशासन ने पांचों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। कैदी विकास उर्फ बिल्लू को पिछले दिनों ही प्रशासनिक कारणों के चलते जींद से करनाल जेल में शिफ्ट कर दिया गया। 

पिता को कैंसर के पेश किए थे दस्तावेज
जेल उपाधीक्षक राकेश कुमार ने सिविल लाइन थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि गांव चाबरी निवासी विकास उर्फ बिल्लू हत्या, हत्या के प्रयास के मामले उम्रकैद की सजा हुई थी और वह जींद जेल में बंद था। विकास उर्फ बिल्लू ने पिछले दिनों हाईकोर्ट से उसके पिता रघबीर ङ्क्षसह को कैंसर का इलाज करवाने को आधार बनाकर दो माह की पैरोल मांगी थी।

जवाब मांगा तो हुआ पर्दाफाश
इस पर हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन इस बारे जवाब मांगा था। जेल प्रशासन ने जब कैदी विकास उर्फ बिल्लू से उसके पिता रघबीर सिंह के कैंसर के इलाज व टेस्ट संबंधित रिपोर्ट मांग ली। कैदी विकास के परिजनों ने जब रघबीर की इलाज संबंधित कागजात पेश किए तो जेल उपाधीक्षक राकेश कुमार को उन पर शक हो गया। इसमें कैंसर होने की रिपोर्ट निर्माण डायग्नोसिस सेंटर रोहतक की दिखाई हुई थी, जबकि इलाज राजस्थान के बीकानेर के आचार्य तुलसी कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र से दिखाया हुआ था। 

नाम किसी और का रिपोर्ट किसी और की
जब टेस्ट रिपोर्ट के नंबर पर रोहतक डायग्नोसिस सेंटर से पता किया तो सामने आया कि यह रिपोर्ट गांव बुआना निवासी वजीर सिंह के नाम पर है, जबकि इसी रिपोर्ट से छेड़छाड़ करके इस पर वजीर सिंह जगह पर रघबीर सिंह नाम कर दिया। रघबीर सिंह इस रिपोर्ट को लेकर बीकानेर के कैंसर अस्पताल में चला गया और वहां से कैंसर के इलाज की दवाई लिखवा ली। उसके बाद फर्जी टेस्ट रिपोर्ट व उस पर बीकानेर के अस्पताल से लिए इलाज को आधार बनाकर कैदी विकास ने हाईकोर्ट से पैरोल मांगी। जेल उपाधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि कैदी विकास के कहने पर उसके चचेरे भाई नकुल ने कैंसर पीडि़त वजीर सिंह की तलाश की और उसके बाद उसके टेस्ट करवाए ताकि कैंसर की पुष्टि हो सके। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद हाईकोर्ट में इसकी रिपोर्ट दे दी है।

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