एचएआइवी-एड्स मरीजों के अधिकार जानने को गंभीर नहीं संबंधित विभाग

एचआइवी-एड्स प्रिवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट-2017 की जानकारी देनेधरातल पर पालना कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 24 विभागों के प्रतिनिधियों को मीटिग के लिए आमंत्रित किया था। हैरत सिविल अस्पताल के मीटिग हाल में संपन्न मीटिग में मात्र छह विभागों के प्रतिनिधि ही पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 11:53 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:53 PM (IST)
एचएआइवी-एड्स मरीजों के अधिकार जानने को गंभीर नहीं संबंधित विभाग
एचएआइवी-एड्स मरीजों के अधिकार जानने को गंभीर नहीं संबंधित विभाग

जागरण संवाददाता, पानीपत : एचआइवी-एड्स प्रिवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट-2017 की जानकारी देने,धरातल पर पालना कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 24 विभागों के प्रतिनिधियों को मीटिग के लिए आमंत्रित किया था। हैरत, सिविल अस्पताल के मीटिग हाल में संपन्न मीटिग में मात्र छह विभागों के प्रतिनिधि ही पहुंचे।

इनमें स्वास्थ्य विभाग, जिला सैनिक बोर्ड, पुलिस, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि ही पहुंचे। रोडवेज के प्रतिनिधि महज हाजिरी लगाने पहुंचे। मीटिग की अध्यक्षता करते हुए डा. आशीष ने कहा कि इस कानून में एचआइवी/एड्स मरीजों के खिलाफ भेदभाव को परिभाषित किया गया है।

कानून में कहा गया है कि इन मरीजों को नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रापर्टी, किराए पर मकान जैसी सुविधाएं देने से इंकार करना भेदभाव माना जाएगा। किसी भी व्यक्ति को नौकरी-शिक्षा सुविधा देने से पहले एचआइवी टेस्ट करवाने के लिए बाध्य करना भी भेदभाव की श्रेणी में शामिल है।

काउंसलर रविद्र सिंह ने मरीजों को मिलने वाले फ्री इलाज व दूसरी सुविधाओं की जानकारी दी। एडवोकेट मंजू ने एचआइवी-एड्स प्रिवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट-2017 के बारे में बताया। इस मौके पर डा. अश्विनी, डा. राजकुमार, अशोक पानू मौजूद रहे। इन विभागों के प्रतिनिधियों को होना था शामिल

जिला रेडक्रास सोसाइटी, रोडवेज, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, नगर निगम, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, शिक्षा विभाग, डीसीपीओ, बिजली निगम, मार्केट कमेटी, रेलवे, थर्मल, जिला सैनिक बोर्ड, लीड बैंक मैनेज, तहसीलदार, एसपी आफिस, जन स्वास्थ्य। यह भी कहता है कानून

एचआइवी-एड्स मरीज की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। मरीज अपनी घातक बीमारी से अवगत है, इसके बावजूद शारीरिक संबंधों के जरिए पार्टनर को बीमारी नहीं परोस सकता। शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसे कंडोम का इस्तेमाल करना होगा। इस्तेमाल किया कंडोम और सीरिज को शेयर नहीं कर सकता। परिवार के बच्चों और महिला का विशेष ध्यान रखना होगा। लापरवाही बरतने और दोषी पाए जाने पर मरीज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है।

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