नेताजी के किस्‍सों ने टीम इंडिया के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी को बनाया जुझारू, आजाद हिंद फौज में थे दादा

Subhash Chandra Bose 2021 भारतीय क्रिकेट टीम के नई सनसनी के तौर पर उभरे तेज गेंदबाज नवदीप सैनी के दादा कर्म सिंह आजाद हिंद फौज में रह चुके थे। नवदीप को दादा नेताजी सुभाष चंद्र बाेस के किस्‍से सुनाते थे। इसी ने नवदीप को जुझारू बनाया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:52 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 09:03 AM (IST)
नेताजी के किस्‍सों ने टीम इंडिया के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी को बनाया जुझारू, आजाद हिंद फौज में थे दादा
तेज गेंदबाज नवदीप सैनी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की फाइल फोटो।

करनाल, [पवन शर्मा]। Subhash Chandra Bose Jayant 2021 :  भारतीय क्रिकेट टीम की नई सनसनी के तौर पर सामने आए तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने हाल ही में समाप्‍त हुए आस्‍ट्रेलिया दौरे में गजब का जुझारुपन और जीवटता दिखाई। दरअसल यह जज्‍बा उन्‍हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के किस्‍सों से मिली। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जिस आजाद हिंद फौज के हम किस्से सुनते हैं, पढ़ते हैं, उसके नायकों में करनाल के कर्म सिंह सैनी भी शामिल थे। कर्म सिंह सैनी भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी के दादा हैं।

आजाद हिंद फौज में नेताजी के साथ काम किया था नवदीप के दादा कर्म सिंह सैनी ने

यही कारण है कि जुझारूपन नवदीप के डीएनए में है। आस्ट्रेलिया में घायल होने के बाद भी नवदीप खेलने उतरे। उनके दादा कर्मसिंह सैनी देश के उन गिने-चुने क्रांतिकारियों में से हैं, जो आज हमारे बीच हैं। वह नेताजी के साथ जापान गए और उनके अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे नेताजी को याद कर आज भी भावुक हो जाते हैं।

नवदीप सिंह सैनी के दादा कर्म सिंह की दो तस्‍वीरें। (परिवार द्वारा उपलब्‍ध कराए गए)

नवदीप सैनी के दादा कर्म सिंह आजाद भारत में बतौर सैनिक लड़े भारत-चीन युद्ध में भी

कर्म सिंह बाद में भारतीय सेना में भी रहे और सैन्य सेवा के दौरान 1962, 1965 और 1971 की जंग भी लड़ी। नवदीप सैनी मानते हैं कि दादा की शौर्य गाथाएं सुनकर ही उनमें कर गुजरने का जज्बा पनपा। बचपन में दादा कर्म सिंह हर रात उनको नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जड़े संस्‍मरण व किस्‍से सुनाते थे। आजाद भारत में उन्हें सेना में चालक की नौकरी मिली। करनाल के तरावड़ी क्षेत्र में रहने वाले कर्म सिंह के बेटे अमरजीत महिला और बाल विकास विभाग में चालक पद से सेवानिवृत्त हुए।

कर्म सिंह पोते नवदीप को सुनाते रहते थे नेता जी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े संस्मरण

अमरजीत ने दैनिक जागरण को बताया कि खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि पिता के रूप में आजाद हिंद फौज के सेनानी कर्म सिंह सैनी तो बेटे के रूप में नवी (नवदीप सैनी) को पाया। अमरदीन ने कहते हैं पिता कर्म सिंह 1942 में गठित आजाद हिंद फौज में शुरू से ही रहे। वह उसमें चालक थे। काम के प्रति हमेशा तत्पर रहने की खूबी ने उन्हें अलग पहचान दी। इसी की बदौलत वह नेताजी के साथ जापान के टोक्यो तक गए।

अमरदीप बताते हैं कर्म सिंह ने आजाद हिंद फौज में रणनीतिक मोर्चो पर अहम जिम्मेदारी निभाई। फौज में उन्हें हर चुनौती का डटकर सामना करने के लिए नियमित प्रशिक्षण दिया जाता था। यही सीख कर्म सिंह ने पोते नवदीप को दी, जो आज भारतीय क्रिकेट टीम के सफल गेंदबाज हैं। नवदीप अक्सर स्वीकारते रहे हैं कि वह जिस मुकाम पर हैं, उसमें क्रांतिकारी दादा कर्म सिंह से हासिल सीख का अहम योगदान है।

सहेज कर रखे हैं मेडल

कर्म सिंह सैनी ने देश के प्रति जज्बे की मिसाल पेश की तो आजाद भारत में चीन और पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी। 1962, 1965 और 1971 की जंग में शौर्य दिखाने पर उन्हें मेडल भी मिले, जिन्हें परिवार ने सहेजकर रखा है।

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