अपनी आंखों का रखें ध्यान, 40 साल आयु के बाद जरूर कराएं जांच

अपनी आंखों से करें प्यार...इसी थीम पर वीरवार को विश्व ²ष्टि दिवस मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य यही है कि खानपान और दिनचर्या को व्यवस्थित करें धूल-धुंआ से अपनी आंखों को बचाएं। राष्ट्रीय नेत्रहीनता नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग 1.20 लाख लोग कार्निया ²ष्टिहीनता से पीड़ित हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 09:02 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 09:02 PM (IST)
अपनी आंखों का रखें ध्यान, 40 साल आयु के बाद जरूर कराएं जांच
अपनी आंखों का रखें ध्यान, 40 साल आयु के बाद जरूर कराएं जांच

जागरण संवाददाता, पानीपत : अपनी आंखों से करें प्यार...इसी थीम पर वीरवार को विश्व ²ष्टि दिवस मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य यही है कि खानपान और दिनचर्या को व्यवस्थित करें, धूल-धुंआ से अपनी आंखों को बचाएं। राष्ट्रीय नेत्रहीनता नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग 1.20 लाख लोग कार्निया ²ष्टिहीनता से पीड़ित हैं। देश में हर साल 25 से 30 हजार कार्निया ²ष्टिहीनता के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में अंधत्व की दर 1.1 फीसदी है।

सिविल अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. शालिनी मेहता ने बताया कि फिलहाल ओपीडी में प्रत्येक दिन 150 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें बच्चों की संख्या 10 से कम है, 40 साल या इससे अधिक आयु के मरीज अधिक हैं। फिलहाल, धूल-धुंआ के प्रदूषण से आंखों में जलन, पानी आना, खुजली, लाली, मलने के कारण मामूली घाव की शिकायत ज्यादा है। सामान्य मरीज नजर कमजोर के हैं, उन्हें दवा और चश्मा का नंबर बताया जाता है। साल में एक बार चेकअप की सलाह दी जाती है।

उन्होंने बताया कि जनवरी से अब तक मोतियाबिद की 60 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं। नेत्रहीनता के कई कारण जैसे विटामिन ए की कमी, आंख में चोट, संक्रमण, जन्मजात विकृति हो सकते हैं। प्री-मेच्योर प्रसव से जन्मे और स्पेशल नवजात केयर यूनिट में भर्ती रहे शिशु को भी नेत्रहीनता का खतरा रहता है, इसलिए हर बच्चे की आंखें जांची जाती हैं।

इसके अलावा मोबाइल फोन, टैबलेट, टीवी, कंप्यूटर-लेपटाप स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने घातक है। स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी से आंखों का पानी सूखना, भारीपन, आंखों में थकावट व सूजन हो जाती है। आंखों की चमक भी प्रभावित होती है। धूप में बाहर निकलने से पहले आंखों पर चश्मा लगाएं, बचाव होगा। अब तक 717 ने भरे संकल्प पत्र

वर्ष 2016 से अब तक मरणोपरांत आखें दान करने के लिए 717 ने संकल्प पत्र भरा है। इनमें से 231 ने तो 25 अगस्त से आठ सितंबर तक मनाए गए 36वां राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के दौरान भरे गए हैं। एक अप्रैल से अब तक मरणोपरांत आठ लोगों की आंखों एकत्र कर रोहतक पीजीआई पहुंचाई हैं। अस्पताल में दो नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. शालिनी मेहता और डा. केतन भारद्वाज हैं, जो आंखें एकत्र करते हैं। जनसेवा दल भी कर रहा सेवा

जनसेवा दल ने छह वर्षों में मरणोपरांत 628 की आंखें दान कराने में मृतक के स्वजनों का सहयोग किया है। इनमें से 95 कार्निया तो विगत दो वर्षों में माधव आई बैंक, करनाल पहुंचाए हैं। इन मुख्य कारणों से आंखें हो सकती हैं खराब

कंप्यूटर विजन सिड्रोम : कंप्यूटर-लेपटाप पर नियमित कई लगातार काम करने से आंखों को नुकसान पहुंचता है। बेहतर होगा हर 20 मिनट में 20 फीट की दूरी पर देखते हुए आंखों को 20 बार झपकाएं। हर 30-45 मिनट में आंखों को आराम दें। सूखापन लगे तो चिकित्सक की सलाह से ल्यूबरिकेशन ड्राप इस्तेमाल करें।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस : धूल-मिट्टी, धुओं के प्रदूषण से आंखों में खुजली, जलन, थकावट, आंखे का लाल होने लगती हैं। चिकित्सक की सलाह से एंटी एलर्जिक, ल्यूब्रिकेटिग ड्राप इस्तेमाल करें।

डायबिटिक रेटिनोपैथी : 40 साल की आयु के बाद सबसे बड़ी समस्या डायबिटीज को लेकर है। इससे शरीर कमजोर होने के साथ नजर कमजोर होने के चांस बढ़ जाते हैं। बेहतर होगा कि शुगर और रक्तचाप को नियंत्रण में रखें।

काला मोतिया : ग्लूकोमा यानि काला मोतियाबिद के कारण भी आंखों की रोशनी चली जाती है। सर्जरी के बाद भी रोशनी नहीं लौटती, हालांकि इसके मरीज बहुत कम हैं। सफेद मोतियाबिद भी ²ष्टिहीनता का कारण है, आपरेशन से रोशनी लौटने की पूरी संभावना है।

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