हरियाणा के स्‍कूलों आ रहे बच्‍चों में बीमारियों को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग गंभीर, शुरू कराया सर्वे

दो साल बाद एक बार फिर हरियाणा के स्‍कूलों में बीमारियों को लेकर बच्‍चों की जांच की जाएगी। बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद निशुल्क करवाया जा रहा इलाज। अब तक 15 लाख रुपये की सर्जरी करवा चुका है स्वास्थ्य विभाग।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:52 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:52 AM (IST)
हरियाणा के स्‍कूलों आ रहे बच्‍चों में बीमारियों को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग गंभीर, शुरू कराया सर्वे
हरियाणा के स्‍कूलों में हेल्‍थ सर्वे होगा।

कैथल, जागरण संवाददाता। स्कूल व आंगनबाड़ी में नौनिहालों के स्वास्थ्य की जांच को लेकर भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। कोरोना महामारी के चलते पिछले करीब डेढ़ साल से भी ज्यादा समय से इस योजना के तहत स्कूलों में सर्वे नहीं हो रहा था। एक सितंबर से स्कूलों में सर्वे शुरू हुआ। दस मोबाइल टीमें इस सर्वे के तहत स्कूलों में जा रही है। अभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं, इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों में यह सर्वे नहीं हो रहा है। इस सर्वे के दौरान चिकित्सक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। सितंबर माह में किस तरह की बीमारी से संबंधित केस सामने आए हैं।

एक साल पहले सर्वे के दौरान बच्चों में दिल में छेद, आंखों की रोशनी कम, खून की कमी, टेडे पांव, कटे हुए होठ सहित अन्य तरह के केस सामने आए थे। ऐसे बच्चों की पहचान कर जिला नागरिक अस्पताल रेफर किया गया। इसके बाद योजना के तहत इन बच्चों की सर्जरी करवाई गई। अब तक 15 लाख रुपये से ज्यादा पैसा बच्चों की सर्जरी पर स्वास्थ्य विभाग कैथल खर्च कर चुका है।

इस योजना के नोडल अधिकारी डा. संदीप जैन ने बताया कि भारत सरकार की तरफ से शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब एवं जरूरतमंद परिवार के बच्चों को निशुल्क इलाज की सुविधा देना है। पूरे जिले में दस मोबाइल टीमों का गठन किया गया है, जो स्कूलों में जाकर सर्वे करती हैं। इस दौरान बच्चों में खून की कमी, आंखों की रोशनी कम, दिल में छेद होेने की दिक्कत सहित अन्य बीमारियों से संबंधित कोई केस सामने आता है तो उसे जिला नागरिक अस्पताल रेफर किया जाता है।

इसके बाद बीमार बच्चे के इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है। पहले सिविल अस्पताल के चिकित्सक जांच करते हैं, अगर इलाज यहां जिला स्तर पर इलाज नहीं होता तो बड़े अस्पतालों में रेफर कर इलाज करवाया जाता है। इस दौरान पूरा खर्च विभाग की तरफ से उठाया जाता है।

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