Struggle Story: महिलाओं ने कोरोना की चुनौती को अवसर में बदला, बनाई मेडिकल गाउन किट

सार्थक सेल्फ हेल्प ग्रुप वर्ष 2009 में अस्तित्व में आया था। झज्जर के गांव नूना माजरा के इस ग्रुप की प्रधान गोमती हैं। गोमती बीए व जेबीटी हैं। उन्होंने शिक्षक बनने की बजाय अशिक्षित और जरूरतमंद महिलाओं की शक्ति बनने का रास्ता चुना।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 08:29 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 08:29 PM (IST)
Struggle Story: महिलाओं ने कोरोना की चुनौती को अवसर में बदला, बनाई मेडिकल गाउन किट
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में दो साल बाद पर्यटकों के लिए ग्रुप पहुंचा हैंडमेड जूट के बैग लेकर

विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जिस समय लोगों को कमाने और खाने की चिंता सता रही थी, उस समय झज्जर के छोटे से गांव नूना माजरा की महिलाओं ने साहस दिखाया। सार्थक सेल्फ हेल्प ग्रुप की इन महिलाओं ने कोरोना की चुनौती को भी अवसर में बदल डाला और कोरोना वारियर्स की सुरक्षा के लिए मेडिकल गाउन किट तैयार की। कोरोना से बचाव में तो अपना योगदान दिया साथ ही हर महिला ने घर बैठे-बैठे 15 से 20 हजार भी रुपये कमाये। सेल्फ हेल्प ग्रुप अब दो साल बाद अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में जूट के बैग लेकर पहुंचा है। जिन्हें पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं। ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर 815 नंबर दुकान है।

जेबीटी के बाद महिलाओं को रोजगार देने का रास्ता अअपनाया

सार्थक सेल्फ हेल्प ग्रुप वर्ष 2009 में अस्तित्व में आया था। झज्जर के गांव नूना माजरा के इस ग्रुप की प्रधान गोमती हैं। गोमती बीए व जेबीटी हैं। उन्होंने शिक्षक बनने की बजाय अशिक्षित और जरूरतमंद महिलाओं की शक्ति बनने का रास्ता चुना। जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के साथ मिलकर जूट के बैग बनाने का प्रशिक्षण लिया और अपने साथ महिलाओं को जोड़ा। आज उनके ग्रुप के साथ 25 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो घर बैठी बैठी हर माह नौ से दस हजार रुपये महीना कमा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब कुछ करने का सोचा तो अपने साथ दूसरी महिलाओं को सशक्त बनाने का यही रास्ता दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि आज ग्रुप के साथ जुड़कर हर महिला साल में एक से डेढ़ लाख रुपया कमाती हैं, जिनमें से कई तो अंगूठा छाप हैं। मगर मेहनत में वे किसी से पीछे नहीं।

निजी कंपनी के साथ किया था एग्रीमेंट

प्रधान गोमती बताती हैं कि कोरोना काल में जब लोगों को कमाने और खाने के लाले पड़ रहे थे उस समय भी ग्रुप की हर महिला ने 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह कमाए। बेशक ज्यादातर महिलाएं ज्यादा पढ़ी लिखीं नहीं हैं। मगर उन्होंने चिकित्सकों के लिए मेडिकल गाउन किट्स तैयार की। इसके लिए एक कंपनी ने उनके साथ एग्रीमेंट किया और ऐसी हजारों किट्स तैयार की गई।

लंच बैग से लेकर लैपटाप बैग

उनके स्टाल पर 60 तरह की वैराइटी के जूट के बैग उपलब्ध है। पानी की बोतल से लेकर, लेपटाप और लंच बाक्स तक के जूट के बैग्स उनके पास उपलब्ध है। गोमती बताती हैं कि पर्स किट, वैजिटेबल बैग, नान वूवन बैग्स, जूट डाक्यूमेंट फोल्डर, जूट कांफ्रेंस, शापिंग बैग्स, कोटन कैनवस बैग उपलब्ध हैं।

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