Solution of Parali Problem: युवा किसान ने पराली बचाने के लिए खेतों में उतारी करोड़ों की मशीन, मुख्यमंत्री ने कहा

सतीश राणा कहते हैं कि जिस पराली को आग में जलाकर राख बना दिया जाता था। वह उसी पराली से पदक हासिल कर रहे हैं। अब तक करीब तीस लाख की आमदन हासिल कर चुके हैं। इसके साथ ही एक दर्जन पुरस्कार हासिल कर चुके हैं।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 12:12 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 12:12 PM (IST)
Solution of Parali Problem: युवा किसान ने पराली बचाने के लिए खेतों में उतारी करोड़ों की मशीन, मुख्यमंत्री ने कहा
युवा किसान दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना

दीपक शर्मा, कुरुक्षेत्र: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिहोवा हलका के गांव जलबेहड़ा के युवा किसान सतीश राणा की पराली बचाओ आग ना लगाओ मुहिम में सक्रियता देख पीठ थपथपाई तो उसने पराली बचाओ के लिए दो करोड़ की मशीनरी ही खेतों में उतार दी। इस बार चार हजार एकड़ की पराली को बचाने का लक्ष्य रखा हुआ है। यह युवा किसान आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है।

जलबेहड़ा गांव के युवा किसान सतीश राणा स्कूल समय से ही सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। स्कूल से निकलते ही खेती संभाली तो भूमि की उर्वरा शक्ति पर नजर गढ़ा ली। पराली या फसल के अवशेष जलाने के सदैव विरोध में रहे। वर्ष 2018 में एक स्केयर बेलर से काम आरंभ किया। पहले ही साल करीब दो हजार एकड़ में पराली को आग से बचा डाला। कस्टमर हेयरिंग सेंटर का गठन कर गांव दर गांव पराली ना जलाने की मुहिम आरंभ की। जिसे लेकर प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पुरस्कृत कर पीठ थपथपाई।

अनेक पुरस्कार हासिल कर चुके हैं राणा

मुख्यमंत्री ने कहा था कि इस काम के हीरो बन जाओ। बस फिर क्या था। सतीश राणा ने दो नये स्केयर बेलर मशीनें लेकर इनकी संख्या तीन कर ली। तीन साल में दस हजार एकड़ की पराली बचा डाली। इस बार राउंड बेलर मशीन को भी शामिल कर करीब चार हजार एकड़ की पराली बचाने का लक्ष्य रखा हुआ है। राणा ने बताया कि इस बार दो करोड़ की मशीनरी पराली के बंडल बनाने में लगाई हुई है। राणा ने बताया कि अब प्रगतिशील किसान क्लब का गठन कर दूसरे किसानों को इस मुहिम में शामिल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र के जिला उपायुक्त, एसडीएम पिहोवा, जिला कृषि उप निदेशक से अनेक पुरस्कार हासिल कर चुके हैं।

पराली से बटोर रहे पदक

सतीश राणा कहते हैं कि जिस पराली को आग में जलाकर राख बना दिया जाता था। वह उसी पराली से पदक हासिल कर रहे हैं। अब तक करीब तीस लाख की आमदन हासिल कर चुके हैं। इसके साथ ही एक दर्जन पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। राणा कहते हैं कि एक दिन आएगा जब खेतों में कहीं भी धुआं नजर तक नहीं आएगा। वे कहते हैं कि मौजूदा केेंद्र व राज्य सरकार से जो मदद किसान को मिल रही है वह कभी किसी सरकार से नहीं मिली है।

chat bot
आपका साथी