पर्ची कटती है पर कूड़ा नहीं उठता

शहर में सफाई के नाम पर प्रतिमाह लाखों खर्च हो रहे है। बावजूद इसके सफाई व्यवस्था में उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं हो पा रहा है। बिगड़ी व्यवस्था के लिए लोग प्रशासन के साथ साथ जेबीएम कंपनी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 08:00 AM (IST)
पर्ची कटती है पर कूड़ा नहीं उठता
पर्ची कटती है पर कूड़ा नहीं उठता

जागरण संवाददाता, पानीपत:

शहर में सफाई के नाम पर प्रतिमाह करोड़ों खर्च हो रहे हैं। इसके बावजूद सफाई व्यवस्था में उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं हो पा रहा है। बिगड़ी व्यवस्था के लिए लोग प्रशासन के साथ साथ जेबीएम कंपनी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि कंपनी की तरफ से डोर टू डोर कूड़ा उठान के नाम पर जबरन चार्ज वसूला जा रहा है। कूड़ा कलेक्शन और उठान समय पर नहीं हो रहा है। दस हजार से ज्यादा की आबादी वाली वार्ड 22 की बतरा कॉलोनी में केवल दो ही रिक्शा कूड़े उठाने के लिए लगी है। ऐसे में लोग कूड़े को इधर-उधर डाल देते है। हर खाली प्लाट डंपिग ग्राउंड में बदल चुका है। इससे परेशानी हो रही है। जागरण आपके द्वार कार्यक्रम में मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम ने कॉलोनी में पहुंच कर लोगों से सफाई व्यवस्था का हाल जाना। ये समस्याएं उजागर हुई। कंवरभान शर्मा

सफाई कर्मचारी गली में सफाई के दौरान कूड़े को नाले व नालियों में गिरा देते है।

डेयरी वाले सार्वजनिक जगहों या खाली प्लॉटों में गोबर डाल देते है।

कूड़ा उठा वालों का कोई समय नहीं है।

कुछ लोग इधर उधर गली में कूड़ा गिरा देते हैं।

समाधान

कूड़ा उठाने वालों का समय निश्चित हो।

सार्वजनिक जगहों पर जो गोबर डाले, उस पर कार्रवाई की जाए।

आबादी के हिसाब से कूड़ा उठान को लेकर वाहन लगाए जाएं।

जमालुद्दीन

गली में कई-कई दिन में सफाई होती है।

कूड़े को लेकर एक जगह चिह्नित नहीं है, कोई कहीं भी डाल जाता है।

कूड़े के कारण बदबू और मक्खी मच्छर पैदा होने से बीमारी फैलती है।

समाधान

कॉलोनी में कूड़ा डालने को लेकर जगह चिह्नित कर बड़ा डस्टबिन रखा जाए।

हर रोज कूड़े का उठान हो।

डोर टू डोर कूड़ा उठाने वाले जेबीएम कंपनी के प्रति प्रशासन सख्ती दिखाए। अशरफ अली

कॉलोनी में सफाई व्यवस्था राम भरोसे है।

पार्षद केवल अपने एरिया में ठीक से सफाई कराने तक सीमित है।

सफाई कर्मचारी कहने के बावजूद भी ठीक से सफाई नहीं करते।

समाधान

एरिया के हिसाब से सफाई कर्मचारी व साधन मुहैया कराए जाए।

सफाई कर्मचारियों व ऊपर वाले अधिकारी का नंबर सार्वजनिक हो।

अधिकारी दफ्तर में कुर्सी से उठकर बाहर निकल हालात को देखें, ताकि उसका कुछ असर हो सके। अशोक बंसीवाला फोटो संख्या

जेबीएम कंपनी हर परिवार से 40 रुपये प्रति माह वसूलती है।

सफाई कर्मचारी मेन गली तक सफाई कर निकल जाते हैं।

अंदर की गलियों में कई दिन में एक बार कूड़ा उठाने आते हैं।

समाधान

कंपनी डोर टू डोर कूड़ा उठान पर पैसे लेती है तो घर घर से कूड़ा कलेक्शन भी करे।

पार्षद नियमित रिपोर्ट बना अधिकारियों को भेजें। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई हो।

उठान को लेकर ट्रैक्टर ट्राली लगे। इससे एक बारे में ही कई जगहों से उठान हो सकेगा। नरेश शर्मा

15 हजार की आबादी वाली कॉलोनी में केवल दो रिक्शा ही कूड़ा कलेक्शन को लेकर लगाई गई है।

रिक्शा वाले के इंतजार में लोग दिन भर बाल्टियों में कूड़ा भरकर घर पर इंतजार में रहते हैं।

कुछ लोग खाली प्लाटों में कूड़े को गिरा देते हैं।

बनने के बाद से पार्षद कॉलोनी में दिखी तक नहीं।

समाधान

घरों से कूड़ा कलेक्शन के लिए कम से कम दस रिक्शा लगाई जाए।

जो कर्मचारी लापरवाही बरते, उस पर तुरंत कार्रवाई हो।

खाली प्लॉटों में कूड़ा गिराने वाले लोगों पर भी जुर्माना लगे।

एरिया में सफाई करने वाले कर्मचारियों बारे में जानकारी हो। रमेश नैन

कई माह तक डोजर नहीं आता है।

घर से कूड़ा कलेक्शन नहीं होता तो लोग इधर उधर गली में गिरा देते हैं।

कूड़े पर मंडराते बेसहारा गोवंश हादसों का कारण बनते हैं।

रोजाना सफाई नहीं होती है। इसलिए दिक्कत ज्यादा होती है।

समाधान

हर रोज कलेक्शन प्वाइंट से कूड़ा उठे।

कॉलोनी के लोगों को जागरूक किया जाए।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली रिक्शा और सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।

अधिकारी सप्ताह में एक बार जरूर किसी न किसी वार्ड का निरीक्षण करने के लिए निकले। फूलमति

पार्क के पास नाले व नालियों की सफाई नहीं होती है।

कूड़ा उठाने के लिए एक रिक्शा लगी है। जो तीन दिन में एक बार आती है।

कई कई दिन तक चौराहे पर कूड़ा पड़ा रहता है।

समाधान

सप्ताह में कम से कम दो बार नाले व नालियों की सफाई हो।

कूड़े डालने के लिए ऐसी जगह निर्धारित हो, जहां आबादी न हो।

कूड़ा उठाने के बाद वहां चूना डलवाया जाए। कमलेश

जिस हिसाब से पर्ची कट रही है, उस हिसाब से सुविधा नहीं मिल रही।

समय पर कूड़ा उठान न होने से उस पर मंडराने वाले बेसहारा गोवंश परेशानी का कारण बनते हैं।

कचरा उठान के लिए साधन बहुत कम है।

समाधान

घर घर से नियमित कूड़ा कलेक्शन हो।

डेरियों को रिहायशी इलाके से बाहर शिफ्ट कराया जाए।

नाले व नालियों में पॉलीथिन वाला कूड़ा गिरने से रोका जाए।

नियमित नाले व नालियों की भी सफाई हो, ताकि निकासी बनी रहे। कुसुमलता

कहने के बावजूद भी सफाई कर्मचारी ठीक से काम नहीं करते हैं।

पार्षद की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

गली व चौराहे में कहीं भी डस्टबिन नहीं रखे हैं।

समाधान

हर गली में चौराहे पर कूड़े के लिए डस्टबिन रखवाए जाए।

कूड़े से फैलने वाली बीमारियों के बारे में लोगों को बताया जाए।

अधिकारी शिकायतों पर ध्यान दें। सीमा

कई कई दिन तक उठाने वाले न आने से कूड़ा घर पर ही रखना पड़ता है।

सफाई कर्मचारी गली में झाडू लगा निकल जाते है।

नाले व नालियों की सफाई न होने से निकासी प्रभावित होती है।

समाधान

हर पंद्रह दिन में एक वार्ड में अधिकारी के निरीक्षण की ड्यूटी फिक्स होनी चाहिए।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी के काम की प्रति सप्ताह समीक्षा हो।

कूड़े के वजन की बजाय काम के आधार पर ही कंपनी को पैसे दिए जाए। संजय कुमार

मेन गलियों को छोड़ छोटी गलियों में कूड़ा उठान कई कई दिन तक नहीं होता।

सफाई कर्मचारी सफाई के नाम पर खानापूर्ति करते है।

काफी दिन से नाले कूड़े से भरे हैं।

पर्ची तो समय पर कटती है, लेकिन कूड़ा कलेक्शन और उठान समय पर नहीं होता।

समाधान

छोटी गलियों में भी कूड़ा उठान को लेकर साधन मुहैया कराए जाए।

दोपहर से पहले सभी जगह से कूड़े का नियमित उठान हो।

शिकायत को लेकर निगम की तरफ से टोल फ्री नंबर होना चाहिए।

कूड़ा उठान वाली गाड़ी पर लाउड स्पीकर जरूर लगे।

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