महंत प्रकाश पुरी की षोडशी पर कलावड़ में जुटे साधु संत, महाकालेश्‍वर मंदिर से था विशेष लगाव

श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पूर्व महंत प्रकाशपुरी महाराज पिछले साल ब्रह्मलीन हो गए थे। कोरोना काल और लॉकडाउन की वजह से षोडशी नहीं हो सकी थी। अब शुक्रवार यानी पांच मार्च को षोडशी में दूर दराज से साधु संत पहुंचे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 03:43 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 03:43 PM (IST)
महंत प्रकाश पुरी की षोडशी पर कलावड़ में जुटे साधु संत, महाकालेश्‍वर मंदिर से था विशेष लगाव
षोडशी भंडारे का आयोजन उनके गुरु स्थान गांव कलावड़ में पहुंचे साधु संत।

यमुनानगर, जेएनएन। उज्जैन (मध्य प्रदेश) श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पूर्व महंत प्रकाशपुरी महाराज गत वर्ष 10 अप्रैल को गाव कलावड में ब्रह्मलीन हो गए थे। इस उपलक्ष्य में शुक्रवार को षोडशी भंडारे का आयोजन उनके गुरु स्थान गांव कलावड़ में किया जाएगा। जिसमे दूर दराज से आए  क्षेत् महात्मा शामिल हुए। सबसे पहले सुबह रामचरित मानस का पाठ संपन्न हुआ। महंत प्रकाश पूरी की समाधि पर पुष्प अर्पित किए गए और रुद्राभिषेक किया गया। इसके बाद महंत प्रकाश पूरी की समाधि पर पूजन हुआ।

श्री राधामाई मठ शिव मंदिर कलावड़ के महंत भीम पुरी ने बताया कि  महंत प्रकाश पुरी महाराज करीब 40 वर्षों से उज्जैन (मध्य प्रदेश) महाकाल मंदिर परिसर के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में महंत के रूप में पदस्थ रहे थे। वे प्रतिदिन भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाने की परम्परा का पालन करते थे।

लॉकडाउन के कारण नहीं हो सका था भंडारा   

महंत भीम पुरी ने बताया कि सन्यासी परम्परा अनुसार महंत के ब्रह्मलीन होने के सोलह दिन बाद षोडशी परम्परा होती है। जिसमें सोलह महंतों को भोजन कराया जाता है। इसके साथ ही उन्हें 16 वस्तुएं जैसे कपड़ा, रूद्राक्ष माला, सोना, चांदी, खड़ऊ, कमंडल, वस्त्र व छतरी इत्यादि दिया जाता है। इसके साथ ही भंडारे का आयोजन किया जाता है। लेकिन उस समय कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा था। केवल षोडशी परम्परा तो की गई थी। भंडारे का आयोजन नहीं किया गया था। इसीलिए अब षोडशी भंडारे का आयोजन  किया गया।

कलावड़ स्थित राधा माई मठ से शुरू किया था सन्यासी जीवन

महंत भीमपुरी जी बताते हैं कि पूर्व महंत प्रकाश पुरी जी का सन्यासी जीवन गांव कलावड़ में राधा माई मठ शिव मंदिर से बचपन अवस्था से शुरू हुआ था। तब उनकी आयु 10 वर्ष के करीब बताई जाती है। गुरु सम्पतपुरी जी ने उन्हें अपना शिष्य गांव कलावड़ में ही बनाया था। प्रकाशपुरी जी अपने गुरु स्थान में कई वर्ष बिताने के बाद 1979 में उज्जैन में महंत पद पर विराजमान हुए। गत वर्ष 29 फरवरी को महंत प्रकाश पुरी जी अपने गुरु स्थान कलावड़ स्थित राधामाई मठ शिव मंदिर में आ गए थे। जिसके बाद 10 अप्रैल को वे ब्रह्मलीन हो गए थे। महंत प्रकाश पुरी जी की समाधि उनके गुरु महंत सम्पत पुरी जी की बगल में ही बनाई गई है।

ये पहुंचे साधु समाज

गांव कलावड़ की ओर से भी सम्मान की चादर चढ़ाई गई। इस दौरान राजस्थान से अर्जुन पुरी महाराज, गुहला चीका से छवि राम दास, अनूपगिरी महाराज, भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत बंसी पूरी, स्वामी विद्या गिरी, गोकुलगढ़ से राजेन्द्र पूरी भी पहुंचे।

पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें: महिला सशक्तिकरण की अजब मिसाल, कोरोना काल में दिखाया ऐसा जज्‍बा, हर कोई कर रहा सलाम

यह भी पढ़ें: हरियाणा का एक गांव ऐसा भी, जहां हर युवा को है सेना में भर्ती का नशा

chat bot
आपका साथी