Ancestor Worship: आज से शुरू होगा श्रद्धा पर्व, पितरों को खुश करने के लिए होंगे विधि विधान से पूजन, अमावस्या पर होगा समाप्त
हिंदू धर्म के मुताबिक प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से 16 दिनों तक अमावस्या मनाया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार पितृपक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। यह भी मान्यता है कि पितृपक्ष में जो अर्पण किया जाता है
अंबाला, जागरण संवाददाता। हिंदू धर्म के मुताबिक प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से 16 दिनों तक अमावस्या मनाया जाता है। इसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक श्रद्धा कर्म किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय, कुत्तों और कौवों को भोजन खिलाया जाता है। इस बार पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 6 अक्टूबर को अमावस्या पर समाप्त होगा।
ब्रह्म पुराण के अनुसार पितृपक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मिलती है मुक्ति
ब्रह्म पुराण के अनुसार पितृपक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। यह भी मान्यता है कि पितृपक्ष में जो अर्पण किया जाता है वह पितरों को मिलता है। पितृ अपना भाग्य पाकर तृप्त होते हैं और खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। जो लोग श्रद्धा नहीं करते उनके पितरों को मुक्ति नहीं मिलती और फिर पितृ दोष लगता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितरों का श्रद्धा व पूजा करना आवश्यक है।
श्रद्धा की तिथियां
20 सितंबर : पहला दिन : पूर्णिमा श्रद्धा
21 सितंबर : दूसरा दिन : प्रतिपद्रा श्रद्धा
22 सितंबर : तीसरा दिन : द्वितीय श्रद्धा
23 सितंबर : चौथा दिन : तृतीया श्रद्धा
24 सितंबर : पाचवां दिन : चतुर्थी श्रद्धा व महाभारणी श्रद्धा
25 सितंबर : छ:ह दिन : पंचमी श्रद्धा
27 सितंबर : 7वां दिन : षष्ठी श्रद्धा
28 सितंबर : 8वां दिन : सप्तमी श्रद्धा
29 सितंबर : 9वां दिन : अष्टमी श्रद्धा
30 सितंबर : 10वां दिन : नवमी श्रद्धा (मातृ नवमी)
1 अक्टूबर: 11वां दिन : दशमी श्रद्धा
2 अक्टूबर: 12वां दिन : एकादशी श्रद्धा
3 अक्टूबर : 13वां दिन : द्वादशी श्रद्धा, सन्यांसी, यति, वैष्णो वजनों
4 अक्टूबर : 14वां दिन : त्रयोवदशी एकादशी
5 अक्टूबर : 15वां दिन : चतुर्थदशी
6 अक्टूबर : 16वां दिन : अमावस्या श्रद्धा, अज्ञात तिथि पितृ श्रद्धा, श्रद्धा सर्वपितृ अमावस्या समापन