पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट में बड़ा घाेटाला, आफत में डाली यात्रियों की जान

1700 करोड़ के डबलिंग रेल प्रोजेक्ट में घोटाला। रिजेक्ट रोड़ी बिछाकर आफत में डाली यात्रियों की जान। राजपुरा-बठिंडा रेल सेक्शन में आरवीएनएल के एजीएम ने मानक से कम रोड़ी बिछाने पर आपत्ति उठाई थी। बावजूद इसके रौड़ी बिछा दी गई।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sat, 08 Jan 2022 06:15 AM (IST) Updated:Sat, 08 Jan 2022 12:41 PM (IST)
पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट में बड़ा घाेटाला, आफत में डाली यात्रियों की जान
रेलवे ट्रैक किनारे मानक के विपरीत बिछाई गई रोड़ी।

अंबाला, दीपक बहल। पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट में रेल अफसरों की मेहरबानी से करोड़ों रुपयों का घोटाला हो गया। पटरी को जकड़कर रखने वाली रोड़ी को मानकों के विपरीत पाते हुए रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के अतिरिक्त महाप्रबंधक (एजीएम) ने रिजेक्ट कर दिया था। करीब 8 माह तक रिजेक्ट रोड़ी पटरी किनारे पड़ी रही, लेकिन बाद में मिलीभगत कर रिजेक्ट रोड़ी को ही बिछवाकर करोड़ों रुपये की पेमेंट जारी कर दी गई। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए रेलवे के इंजीनियरिंग ब्रांच से एक रिटायर्ड अधिकारी की आरवीएनएल में एंट्री भी करवाई गई। इसी अधिकारी के माध्यम से फिर कंपनी पर मेहरबानी करते हुए रिजेक्ट रोड़ी की पेमेंट कर दी गई। पटरी के बीच और आसपास बिछने वाले रोड़ी यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी है। रोड़ी यदि मानक के विपरीत है तो इससे पटरी खिसक सकती है और ट्रेन भी बेपटरी हो सकती है।

इस तरह किया गया था रिजेक्ट

राजपुरा से बठिंडा तक 170 किलोमीटर तक डबल लाइन का टेंडर डाला गया। आरवीएनएल को इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई। अभी भी इस प्रोजेक्ट में कुछ कार्य बाकी है, जबकि बीच-बीच में जहां पर कार्य पूरा हो गया, वहां पर डबल लाइन को मुख्य संरक्षा आयुक्त हरी झंडी दे चुके हैं। अभी यह प्रोजेक्ट पूरा भी नहीं हुआ कि अब इस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आ गया है। इसी को लेकर आरवीएनएल के एजीएम ने कंपनी को दिसंबर 2019 को पत्र लिखा था। इस में बताया गया था कि रेल पटरी के किनारे बिछाई गई रोड़ी मानकों के अनुसार नहीं है। इसी कारण से प्रोजेक्ट भी लेट हो रहा है। कंपनी को सही मानक की रोड़ी डालने को कहा गया था। इसके अलावा एक रेल अधिकारी ने इसी कंपनी को दिसंबर 2019 में एक ओर पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि रोड़ी का आकार कैसा है, जबकि यह किस तरह की होनी चाहिए थी। इसी को ध्यान में रखते हुए अधिकारी ने इस संबंध में सही आकार की रोड़ी डालने के निर्देश दिए थे।

यह है रोड़ी का रोल

रेलवे द्वारा पटरी के बीच में और किनारों पर रोड़ी डाली जाती है। यह रोड़ी तिकोनी आकार की होनी चाहिए। इस तरह की रोड़ी की पकड़ अच्छी रहती है। इसी कारण रेल पटरी भी स्थिर रहती है और रेल आसानी से इस पर दौड़ती है। यदि यह मानकों के अनुरूप न हो तो ट्रैक खिसक सकता है और रेल भी बेपटरी हो सकती है। इसी कारण से यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रोड़ी मानकों के अनुसार ही रेल ट्रैक के बीच और आसपास डाली जाती है।

मेरी जानकारी में नहीं : सीपीएम

आरवीएनएल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर पवन गर्ग ने बताया कि ऐसा कोई मामला जानकारी में नहीं है। राजपुरा-बठिंडा रेल सेक्शन पर अभी काम चल रहा है। रोड़ी को रिजेक्ट की गई और बाद में कंपनी को पेमेंट करने के मामले से अनभिज्ञता जताई है। गर्ग ने बताया कि चेक करवा लेते हैं कि ऐसा कोई मामला तो नहीं है।

आरवीएनएल के सीएमडी ने भी साधी चुप्पी

आरवीएनएल के सीएमडी (चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गौड ने इस घोटाले पर चुप्पी साध ली है। फोन रिसीव न करने पर उनको व्हाट्सएप पर घोटाले की जानकारी देकर सही तथ्यों के बारे पूछ गया, लेकिन मैसेज पढऩे के बाद भी उन्होंने किसी प्रकार की टिप्पणी करना जरूरी नहीं समझा।

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